Home News India महाराष्ट्र:सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला, वकीलों ने दीं ये दलीलें
महाराष्ट्र:सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला, वकीलों ने दीं ये दलीलें
सुप्रीम कोर्ट ने 26 नवंबर की सुबह 10:30 बजे तक सुरक्षित रखा आदेश
क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
i
महाराष्ट्र में फिलहाल सियासी संकट थमता नहीं दिख रहा
(फोटो: क्विंट हिंदी)
✕
advertisement
सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर को दूसरे दिन शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 26 नवंबर की सुबह 10:30 बजे तक आदेश सुरक्षित रख लिया है.
बता दें कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए जाने का फैसला रद्द करने की मांग की है. इन पार्टियों ने अपनी याचिका में ‘खरीद-फरोख्त रोकने के लिए’ जल्दी से फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग भी की है.
25 नवंबर को सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र बीजेपी की तरफ से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा
विधानसभा के नियमों से चलने वाली सदन की प्रक्रिया में कोर्ट दखल नहीं दे सकता
कल (26 नवंबर) फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए. इसके लिए उचित वक्त 7 दिनों का है
देवेंद्र फडणवीस ने 170 विधायकों के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया था और स्वीकार कर लिया गया
एक पवार उनके साथ हैं, एक पवार हमारे साथ हैं, यह परिवार के बीच टकराव हो सकता है, हम खरीद-फरोख्त में संलिप्त नहीं हैं
केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा
महाराष्ट्र के राज्यपाल को जब ये लगा था कि कोई भी पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, उन्होंने तभी राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी
राज्यपाल को 22 नवंबर को अजित पवार से एनसीपी के 54 विधायकों के समर्थन वाली चिट्ठी मिली थी. इस चिट्ठी में लिखा था कि वह (अजित पवार) एनसीपी विधायक दल के नेता हैं
22 नवंबर को राज्यपाल को दी गई अजित पवार की चिट्ठी में लिखा था कि वह राज्य में स्थायी सरकार चाहते हैं और राष्ट्रपति शासन अनिश्चित काल तक जारी नहीं रह सकता. इसके अलावा चिट्ठी में लिखा गया था कि बीजेपी ने पहले भी सरकार बनाने के लिए अजित पवार से साथ आने को कहा था, मगर उस वक्त उन्होंने एनसीपी विधायकों के अपर्याप्त समर्थन की वजह से इनकार कर दिया था
मौजूदा स्थिति में राज्यपाल ने सदन में बहुमत वाले गठबंधन को सरकार बनाने के लिए बुलाया था. देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार की चिट्ठी के बाद 11 निर्दलीयों और अन्य विधायकों के समर्थन पत्र के साथ दावा पेश किया था
राज्यपाल ने अपने विवेक के आधार पर सबसे बड़ी पार्टी के नेता को न्योता भेजा था, देवेंद्र फडणवीस के पास 170 विधायकों का समर्थन है
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
एनसीपी-कांग्रेस की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा
अगर दोनों पक्ष फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं तो इसे टाला क्यों जा रहा है?
क्या यहां एनसीपी के एक भी विधायक ने कहा है कि हम बीजेपी में शामिल होंगे
बीजेपी गठबंधन ने कोर्ट को 54 एनसीपी विधायकों के जो हस्ताक्षर दिखाए हैं, वो अजित पवार को पार्टी के विधायक दल का नेता चुनने के लिए किए गए थे. इन विधायकों ने सरकार बनाने के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए हस्ताक्षर नहीं किए थे. राज्यपाल इसे अनदेखा कैसे कर सकते हैं
सिंघवी ने रिकॉर्ड पर 154 विधायकों के समर्थन वाला हलफनामा भी रखा. मगर सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया. उसने कहा कि वो याचिका के दायरे को बढ़ाना नहीं चाहता. इसके बाद सिंघवी ने हलफनामा वापस ले लिया.
शिवसेना की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के पास 154 विधायकों के समर्थन वाला हलफनामा है
अगर बीजेपी के पास संख्याबल है तो उसे 24 घंटो में बहुमत साबित करने के लिए कहा जाना चाहिए
सदन के वरिष्ठ सदस्य को वीडियोग्राफी और सिंगल बैलेट के साथ फ्लोर टेस्ट कराना चाहिए