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CAA का विरोध दिल्ली के शाहीन बाग से शुरू होकर मुंबई तक पहुंच चुका है. लोग CAA को वापस लेने की मांग के साथ सड़कों पर हैं. सरकार के खिलाफ धरना दिया जा रहा है. लेकिन बड़े पैमाने पर हो रहे इस विरोध के बीच विपक्ष खुलकर जनता के साथ नहीं दिख रहा है. आखिर इसकी वजह क्या है? कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि विपक्ष को हिंदू वोट गंवाने का डर सता रहा है.
क्विंट से खास बातचीत में पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि दरअसल विपक्ष बीजेपी के धुव्रीकरण के एजेंडे में नहीं उलझना चाहता.
देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव का प्रचार जोरों पर है. लेकिन इस चुनाव प्रचार का शोर शाहीन बाग तक नहीं पहुंच पा रहा है. शाहीन बाग में पिछले कई दिनों से मुस्लिम समुदाय CAA कानून के विरोध में आंदोलन कर रहा है. हजारों की संख्या में मुस्लिम महिलाएं केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं. लेकिन अब तक दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल या आम आदमी पार्टी का कोई बड़ा नेता शाहीन बाग नहीं पहुंचा है.
चव्हाण का मानना है कि
चव्हाण की बात मानें तो केजरीवाल को जीत की हैट्रिक लगानी है तो पहले उन्हें काम के दम पर बीजेपी के वोटर्स का विश्वास जीतना होगा. दूसरा बीजेपी के ध्रुवीकरण के दांव से बचना होगा. उधर, कांग्रेस CAA का विरोध तो कर रही है लेकिन उनका भी तरीका बहुत आक्रामक नहीं है.
बीजेपी को ध्रुवीकरण के खेल का पुराना खिलाड़ी माना जाता है. कई मौकों पर बीजेपी ध्रुवीकरण का दांव खेलकर चुनाव नतीजों को अपने हक में कर चुकी है. यूपी के मुजफ्फरनगर के दंगों को ही लीजिए. साल 2013 में दंगे हुए और बीजेपी इस दंगे को सांप्रदायिक रंग देने में कामयाब रही. इसके बाद साल 2014 में लोकसभा चुनाव हुए और बीजेपी यूपी में 71 सीटें हासिल करने में कामयाब रही. ये आंकड़े वाकई हैरान करने वाले थे, क्योंकि साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हाथ सिर्फ 10 सीटें आई थीं.
यही वजह है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इस बात का खास ख्याल रखा था, कि वह दोबारा बीजेपी को ऐसा कोई मौका न दे. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में भी कई मौकों पर ऐसा देखा गया है, जब बीजेपी ने कुछ मामलों को हिंदू-मुसलमान का रंग देने की कोशिश की है.
महाराष्ट्र में भी यही वजह है कि CAA कानून को लागू ना करने को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका है. शिवसेना के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस और एनसीपी दोनों ने इस कानून का विरोध किया है लेकिन लोकसभा में CAB के समर्थन में मतदान करने वाली शिवसेना फिलहाल अपने पत्ते पूरी तरह खोलने को तैयार नहीं है.
शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे भी CAA विरोध और समर्थन के राजनीतिक नफे नुकसान का आकलन नहीं कर सके हैं. हिंदुत्ववादी पार्टी के तौर पर शिवसेना की पहचान रही है, हालांकि कांग्रेस एनसीपी के साथ सरकार बनाने के बाद शिवसेना के हिंदुत्व पर सवाल भी खूब उठे.
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