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महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक अलग मुकाम हासिल किया है. अब उद्धव ठाकरे अपने पिता और शिवसेना के संस्थापक बालासाहब ठाकरे का बड़ा सपना साकार करने जा रहे हैं. महाराष्ट्र में अगला मुख्यमंत्री उनकी राजनीतिक पार्टी शिवसेना का ही कोई शिवसैनिक होगा. हालांकि, ये सभी संभावना है कि उद्धव ठाकरे खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होंगे.
पिछले 19 सालों से उद्धव राजनीति में अपने पिता की विरासत संभाल रहे हैं. खास बात ये है कि उद्धव ने आजतक चुनाव नहीं लड़ा और न ही सरकार में कोई पद लिया है. इसके बावजूद उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई. उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने पहली बार वर्ली विधानसभा सीट से इस बार चुनाव लड़ा.
साल 2000 से पहले तक उद्धव ठाकरे राजनीति से दूर रहे. इससे पहले वह शिवसेना के अखबार सामना का काम देखते थे और इस अखबार के संस्थापक भी रहे. साल 2000 में बाल ठाकरे की सेहत खराब रहने के बाद उद्धव राजनीति में एक्टिव हुए और पार्टी का कामकाज देखने लगे.
लेकिन उनका राजनीतिक सफर पार्टी और परिवार के लिहाज से काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. बाल ठाकरे के बाद शिवसेना का उत्तराधिकारी कौन होगा? इसके लिए उन्हें अपने चचेरे भाई राज ठाकरे से लड़ाई भी लड़नी पड़ी. साथ ही पार्टी में एक गुट का विरोध भी सहना पड़ा.
साल 2006 में नतीजा ये हुआ कि उनके चचेरे भाई राज ठाकरे शिवसेना से अलग हो गए. राज ठाकरे ने शिवसेना से निकलकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का गठन कर लिया.
बीजेपी-शिवसेना हिंदूवादी समान विचारधारा के कारण 25 साल साथ रहे. लेकिन इनके रिश्ते शुरुआत से ही काफी नाजुक रहे हैं. शिवसेना महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ रहकर भी केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर रही.
साल 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी-शिवसेना साथ मिलकर लड़े. लेकिन विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा. 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अलग चुनाव लड़कर 122 सीटें जीतीं. वहीं शिवसेना ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की. चुनाव नतीजों के बाद एक बार फिर शिवसेना-बीजेपी साथ आ गए. इसके बाद भी दोनों के रिश्ते नाजुक ही रहे, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन टूटते-टूटते बचा.
हाल ही में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी शिवसेना - बीजेपी मिलकर चुनाव मैदान में उतरी थीं. बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं. लेकिन बीजेपी-शिवसेना को बहुमत मिलने के बावजूद भी ये गठबंधन सरकार नहीं बना सका. चुनाव नतीजों के बाद शिवसेना ने बीजेपी के सामने ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का फॉर्मूला रखा था, जिस पर बीजेपी राजी नहीं हुई और आखिरकार, ये गठबंधन एक बार फिर टूट गया.
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