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गाजीपुर बॉर्डर पहुंच महात्मा गांधी की पोती ने किसानों से क्या कहा?

तारा गांधी ने किसान संगठनों के सभी नेताओं से मुलाकात भी की

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तारा गांधी ने किसान संगठनों के सभी नेताओं से मुलाकात भी की
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तारा गांधी ने किसान संगठनों के सभी नेताओं से मुलाकात भी की
(फोटो: Twitter/@KisanEktaMarch) 

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कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है. इस बीच 13 फरवरी को महात्मा गांधी की पोती तारा गांधी भट्टाचार्जी भी किसानों के साथ एकजुटता जताने गाजीपुर बॉर्डर पहुंची थीं. तारा गांधी ने किसान संगठनों के सभी नेताओं से मुलाकात भी की. इस दौरान किसान नेताओं ने उनका मंच पर स्वागत किया और आशीर्वाद लिया.

मंच से तारा गांधी भट्टाचार्जी ने किसानों को संबोधित भी किया और कहा, "मैं राकेश टिकैत और अन्य नेताओं से यहां मिलने आई हूं. दिल्ली से बॉर्डर तक आने में भले घंटों लगे हों लेकिन मैं ये यात्रा कभी नहीं भूलूंगी."

गांधी की पोती का किसानों को संबोधन

84 साल की भट्टाचार्जी नेशनल गांधी म्यूजियम की चेयरपर्सन भी हैं. उन्होंने किसानों से अपने प्रदर्शन में शांतिपूर्ण ढंग से रहने को कहा और सरकार से किसान समुदाय का 'ध्यान रखने' की अपील की.

तारा गांधी के साथ गांधी स्मारक निधि चेयरमैन रामचंद्र रही, ऑल इंडिया सर्व सेना संघ के मैनेजिंग ट्रस्टी अशोक सरन, गांधी स्मारक निधि के डायरेक्टर संजय सिंघा और नेशनल गांधी म्यूजियम के डायरेक्टर ए अन्नामलई भी मौजूद रहे.  

भट्टाचार्जी ने किसानों से कहा, "आज हम जिंदा है तो आपकी वजह से, अगर किसानों का हित नहीं होगा तो हमारा हित नहीं होगा. आप सभी यहां आएं है आप मेहमान है, मैं सभी को प्रणाम करती हूं."

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“मैं न राजनीति समझती हूं, न कानून लेकिन आप मुझे अपना गांव का ही समझिए, आप सभी लोगों के लिए मैं प्रार्थना करती हूं कि सत्य की जीत हो, जो भी हो भला हो.” 
तारा गांधी भट्टाचार्जी

उन्होंने किसान सगठनों के नेताओं की तरफ इशारा करते हुए कहा कि, "आप सभी से भी कहूंगी कि पर्यावरण को दूषित किया है, लेकिन मन को दूषित न करें, आप लोगों को हिंसा की जरूरत नहीं है. आपके काम मे ही सत्य है."

“मैं यहां आई और आप सभी लोगों को देख मेरा जीवन सफल हो गया, मैं आपके साथ हूं, आपको नमन करती हूं. किसान आंदोलन में शरीक होने आई महिलाओं को भी मेरा नमन है.” 
तारा गांधी भट्टाचार्जी

महात्मा गांधी की पोती ने याद दिलाया कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 में आजादी की पहली लड़ाई भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से शुरू हुई थी.

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