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महात्मा गांधी अगर इस वक्त देश की सड़कों पर निकलते तो क्या देखते? वह एक ऐसे कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन देखते, जिस पर धार्मिक आधार पर भेदभाव करने के आरोप लग रहे हैं. इन विरोध-प्रदर्शनों के बीच पैदा हुई हिंसा भी उनको दिखती.
क्या हम ऐसे हालात में महात्मा गांधी का स्वागत करना चाहेंगे? इस सवाल के जवाब के लिए हमें बापू की सीख और सिद्धांतों को एक बार फिर याद करने की जरूरत है.
पढ़िए, इंसाफ, बराबरी, मानवता, अहिंसा और एकता को लेकर बापू ने क्या कहा था
मौजूदा हालात के बीच सामाजिक बराबरी, न्याय, आजादी, एकता और मानवता को लेकर गांधीवादी सीख पर आधारित भारत के विचार को मजबूती देने की जरूरत है.
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