advertisement
रेलिगेयर के मलविंदर और शिविंदर भी फंड की हेराफेरी के घेरे में आ गए हैं. अरबपति भाइयों पर करोड़ों का फ्रॉड करने का आरोप लगा है.
न्यूयॉर्क के एक प्राइवेट इक्विटी फंड ने सिंह भाइयों पर ये गंभीर आरोप लगाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में फ्रॉड का मुकदमा ठोक दिया है. दोनों रेलिगेयर एंटरप्राइज के प्रोमोटर हैं और मामला रेलिगेयर फिनवेस्ट से जुड़ा है.
मलविंदर और शिविंदर सिंह पर पहले ही डाइची मामले में अंतरराष्ट्रीय कानूनी लड़ाई में फंसे हैं.
अमेरिका के फंड सिलगुर ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर मुकदमे में 700 पन्नों दस्तावेज लगाए गए हैं. इनमें रेलिगेयर फिनवेस्ट के 2016 के खातों की रिजर्व बैंक की जांच रिपोर्ट भी दी गई है. जिसके मुताबिक मलविंदर और शिविंदर की फाइनेंशियल फर्म रेलिगेयर ने पहले 21 अलग अलग कंपनियों को लोन दिया. बाद में 30 करोड़ डॉलर की लोन की ये पूरी रकम घूमा फिराकर दोनों भाइयों की निजी कंपनियों के खातों में पहुंचा दी गई.
दोनों भाइयों पर 1.6 अरब डॉलर का कर्ज है और इसे चुकाने के लिए उनपर रेलिगेयर और फोर्टिस हेल्थकेयर में हिस्सा बेचने का भारी दबाव है.
दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 20 मार्च को होगी.
हालांकि ब्लूमबर्ग को ई मेल के जरिए भेजे जवाब में रेलिगेयर ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया.
दिल्ली हाईकोर्ट में सिंह भाइयों पर मुकदमा ठोकने वाला न्यूयॉर्क का सिगुलर गफ एंड कंपनी एक प्राइवेट इक्विटी फर्म है जो 12.6 अरब का फंड मैनेज करती है. इसकी मलविंदर और शिविंदर की कंपनी रेलिगेयर फिनवेस्ट में 6 परसेंट हिस्सेदारी है.
कोर्ट में दायर याचिका में इस फंड की मांग है कि रेलिगेयर फिनवेस्ट को सिंह भाइयों को और लोन देने से रोका जाए. साथ ही सिंह भाइयों को रेलिगेयर में हिस्सेदारी बेचने से भी रोका जाए.
सिगुलर गफ एंड कंपनी फंड की दलील है कि ऐसा करना जरूरी है ताकि किसी भी आर्बिट्रेशन की स्थिति में रेलिगेयर की हिस्सेदारी बेचकर इस देनदारी चुकाई जा सके.
मलविंदर और शिविंदर के लिए चारों तरफ से मुसीबत आ गई है. वो निजी कर्ज चुकाने में एक डिफॉल्ट कर चुके हैं. दाइची सैंकों के साथ एक मुकदमे में उलझे हैं इसलिए अपने एसेट नहीं बेच पा रहे हैं.
मलविंदर और शिविंदर ने 10 साल पहले अपनी दवा कंपनी रैनबैक्सी जापान की डाइची सैंको को बेची थी लेकिन दाइची ने दोनों भाइयों पर आरोप लगाया था कि कंपनी के बारे में उन्हें अंधेरे में रखा गया. जिस पर सिंगापुर की अदालत ने दोनों भाइयों को 50 करोड़ डॉलर का हर्जाना देने का आदेश दिया है. दोनों भाइयों ने इस आदेश को चुनौती दे रखी है.
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि पूरी योजना बनाकर रेलिगेयर के फंड को दोनों भाइयों की निजी कंपनियों के खाते में पहुंचाया गया और यही फंड डायवर्जन का एकमात्र मकसद था.
हालांकि सिगुलर गफ के प्रवक्ता ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की.
रिजर्व बैंक की तरफ से भी अभी तक इस मामले में ब्लूमबर्ग को कोई बयान नहीं मिला है.
अदालत में लगाई अर्जी में कहा गया है कि फिनवेस्ट ने रिजर्व बैंक से वादा किया था कि वो अपनी लोनबुक नहीं बढ़ाएगा फिर भी फिनवेस्ट ने पिछले साल 7.6 करोड़ का लोन उन्हीं कंपनियों को दिया है जो या तो सिंह भाइयों के ग्रुप का हिस्सा थीं या फिर उनके करीब थीं.
दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 20 मार्च को होगी
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)