Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019ममता बनर्जी सरकार और न्यायपालिका में फिर ठनी, क्या है विवाद की असली वजह?

ममता बनर्जी सरकार और न्यायपालिका में फिर ठनी, क्या है विवाद की असली वजह?

Bengal Government Vs Judiciary: कुणाल घोष ने कहा कि गंगोपाध्याय को कुर्सी छोड़कर राजनीति में प्रवेश करना चाहिए.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>ममता बनर्जी सरकार और न्यायपालिका में फिर ठनी, क्या है विवाद की असली वजह?</p></div>
i

ममता बनर्जी सरकार और न्यायपालिका में फिर ठनी, क्या है विवाद की असली वजह?

(फोटो-क्विंट हिंदी)

advertisement

कलकत्ता (Kolkata) हाई कोर्ट के जज, जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय और पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच शब्दों का आदान-प्रदान राज्य सरकार और न्यायपालिका के बीच जारी तनाव को दर्शाता है. आइये आपको बताते हैं कि ममता सरकार और न्यायपालिका के बीच विवाद की वजह क्या है?

क्या है विवाद

न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने पिछले सप्ताह कहा कि CBI और ED, यदि आवश्यक हो तो TMC के गिरफ्तार नेता कुंतल घोष के आरोपों के मामले में सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी से पूछताछ कर सकती है. हालांकि, इस मामले में सोमवार, 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक बनर्जी को बड़ी राहत दी है.

 अभिषेक बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट से राहत

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के 13 अप्रैल के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें CBI और ED को उनसे और स्कूल में नौकरी के बदले रिश्वत मामले में आरोपी कुंतल घोष से पूछताछ करने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने उसके आधार पर रिपोर्ट दर्ज करने को कहा है.

CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने तत्काल सुनवाई के लिए TMC नेता की याचिका पर कहा, "मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल 2023 को होगी तब तक, याचिकाकर्ता (बनर्जी) के खिलाफ सभी निर्देशों पर रोक रहेगी."

CBI, सुप्रीम कोर्ट के रोक के बावजूद पूछताछ के लिए समन जारी कर परेशान कर रही है.
अभिषेक बनर्जी, सांसद, MP
इससे पहले, TMC के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने पलटवार करते हुए कहा, "जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय को कुर्सी छोड़कर सीधे राजनीति में प्रवेश करना चाहिए." उन्होंने कहा, " क्या आप जांच के प्रभारी हैं? आप पक्षपात का परिचय देकर जांच को समान रूप से प्रभावित कर रहे हैं."

कुणाल घोष ने न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय पर 'विपक्षी दल कांग्रेस, CPI और BJP के समर्थन से अभिषेक को बदनाम करने' का भी आरोप लगाया.

न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली क्यों आये TMC के निशाने पर?

इससे पहले, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं की CBI जांच का आदेश दिया था, जिसके कारण कई TMC नेताओं की गिरफ्तारी हुई थी. इसके साथ ही, उन्होंने न्यायपालिका के खिलाफ अपनी टिप्पणियों पर अभिषेक को निशाने पर लिया था.

एक स्थानीय टीवी चैनल ABP आनंद से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि वह "न्यायपालिका पर उंगली उठाने वाले" के खिलाफ "सख्त कार्रवाई" के पक्ष में हैं, अन्यथा लोग न्याय प्रणाली में विश्वास खो देंगे.

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि वह उनके खिलाफ फैसला जारी करने और उन्हें तलब करने के पक्ष में हैं. बीजेपी के इशारे पर काम करने के जजों पर लगाए गए आरोपों को अभिषेक साबित नहीं कर पाए तो जज ने कहा था, "झूठ बोलने के लिए उन्हें तीन महीने की जेल होनी चाहिए. बाद में, वह मुझे मरवा भी सकते हैं, लेकिन इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

उस वक्त भी TMC के कई नेताओं ने जस्टिस गंगोपाध्याय पर निशाना साधा था. अभिषेक के करीबी माने जाने वाले टीएमसी के युवा नेता देबांशु भट्टाचार्य ने एक फेसबुक लाइव में कहा कि जस्टिस गंगोपाध्याय केवल कांग्रेस और टीएमसी को निशाने पर लेते दिखाई दिए.

भट्टाचार्य ने पोस्ट करते हुए लिखा, "ममता बनर्जी के बारे में आपने कहा कि आपने सुना है कि वह गुस्से में हैं और बदला लेती हैं. आप एक निर्वाचित और लोकप्रिय मुख्यमंत्री की छवि कैसे खराब कर सकते हैं?”

ममता भी न्यायपालिका पर अक्सर उठाती रही हैं सवाल

कथित स्कूल भर्ती घोटाले की जांच को लेकर सीएम ममता बनर्जी खुद अक्सर न्यायपालिका पर निशाना साधती रही हैं. हाल ही में अलीपुर जजेस कोर्ट के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची सीएम ममता बनर्जी ने उन लोगों की बात की, जिनकी जांच के बाद नौकरी चली गई है.

सीएम ने न्यायपालिका से "उनके परिवारों को आर्थिक कठिनाइयों में नहीं डालने" का आग्रह किया, जिसमें दो आत्महत्याओं का भी जिक्र किया गया था.

जस्टिस गंगोपाध्याय से पहले राजशेखर मंथा निशाना पर थे

15 दिसंबर 2022, को कुणाल घोष ने न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा पर निशाना साधा था, जब उन्होंने आदेश दिया था कि हाई कोर्ट की अनुमति के बिना BJP के विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं की जा सकती है.

जज के घर के बाहर लगे पोस्टर

उसके बाद,कोलकाता के जोधपुर पार्क में न्यायमूर्ति मंथा के घर के बाहर, उनके फैसलों की आलोचना करने वाले पोस्टर लगे थे. पोस्टरों में उन्हें "न्यायपालिका का अपमान" करने वाला बताया गया था.

कोर्ट रूम को किया गया ब्लॉक

जनवरी में वकीलों के एक ग्रुप ने न्यायमूर्ति मंथा के कोर्ट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था, जबकि अन्य ने उनकी कोर्ट के प्रवेश द्वार को ब्लॉक कर दिया था, जिसके बाद कोर्ट के बाहर हंगामा मारपीट में बदल गया था.

इस घटना ने एक राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू कर दिया था. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया था, "TMC सरकार के अनुकूल काम करने वाली न्यायपालिका चाहती है. टीएमसी से जुड़े वकीलों ने उनके (जस्टिस मंथा के) कोर्ट रूम को ब्लॉक कर दिया, जिसमें CJ के दखल देने की जरूरत थी, जिन्होंने अब CCTV फुटेज की मांग की है."

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, न्यायपालिका पर इन सीधे हमलों को लेकर टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी के भीतर बेचैनी जाहिर की. उन्होंने कहा, “यह सच है कि पिछले एक साल में, हर न्यायिक आदेश हमारे खिलाफ गया है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम न्यायपालिका पर हमला करें. इससे हमारी छवि खराब हो रही है."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT