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बेटी की जिम्मेदारियों के साथ करियर को भी दिया पूरा वक्त: मानसी रॉय

मानसी के जब कियारा दो साल की थी मैं टीवी में लौटी

मानसी रॉय जोशी
भारत
Updated:
अपनी बेटी कियारा के साथ मानसी जोशी रॉय
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अपनी बेटी कियारा के साथ मानसी जोशी रॉय
(Photo Courtesy: Manasi Joshi Roy)

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मैंने शादी से पहले काम किया और शादी के बाद मैटरनिटी लीव ली. जब मेरी बेटी करीब दो साल की थी, मैं वापस काम पर लौटी. कुछ साल काम किए और फिर छुट्टी ली ताकि घर में मां की भूमिका निभा सकूं. एक लंबे अंतराल के बाद चमक-दमक से दूर एक बार फिर मैं मां की भूमिका से अपने काम पर लौटी हूं.

किसी भी परिस्थिति और उम्र में अपने बच्चे को घर में छोड़ना बहुत मुश्किल होता है. मेरी बच्ची कियारा अभी किशोर अवस्था में है और पहले की तरह उसे चौबीसों घंटे मेरी जरूरत नहीं है.

हालांकि जब मैं पिछले साल काम पर लौटी थी, मुझे बिछुड़ने का दुख महसूस हुआ. जब वह स्कूल से घर लौटती तो मैं वहां उसका स्वागत करने को नहीं होती और, देर रात तक होने वाली बातचीत भी छूट गयी, जो उसे साथ लिटाकर किया करती थी. लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, ये सारी चीजें भी बदल गयीं. अब जब मैं काम से लौटती हूं तो वह अपने स्कूल से मिले काम और अपनी सहेलियों के साथ बातचीत में व्यस्त होती है.

“हमारे पास अब भी क्वालिटी समय बहुत थोड़ा है, लेकिन जब बच्चे बड़े होने लगते हैं, तो काम पर लौटना शायद बहुत अच्छा विचार होता है. खासकर तब, जब आप एक कामकाजी महिला हों और आपने काम से ब्रेक ले रखा है. वास्तव में कई गृहणियां भी काम पर लौट रही हैं, क्योंकि उन्हें या तो अपने काम से प्यार है या फिर वे अपनी नयी हॉबीज या आदतों को आगे बढ़ाना चाहती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अब उनके बच्चे थोड़े बड़े हो गये हैं और कई बार उनकी आदतें या हॉबी उनके लिए प्रोफेशनल हो जाती हैं.”
बेटी कियारा के साथ. (मानसी जोशी रॉय)

जब कियारा दो साल की थी मैं टीवी में लौटी

“तीन साल के भीतर ही मेरी बेटी विदेश जाएगी, जहां वह अपनी अंडर ग्रैजुएट डिग्री हासिल करेगी. और, तब मैं बिल्कुल अकेली हो जाऊंगी, क्योंकि वह मेरी इकलौती संतान है. इस सोच से भी मुझे डर लगता है, क्योंकि जब से वह पैदा हुई है मेरी जिंदगी उसी के इर्द-गिर्द घूमती रही है.मैं कल्पना नहीं कर सकती कि जब वह चली जाएगी मैं क्या करूंगी.”

इसलिए मैं दोबारा एक्टिंग के लिए तैयार होकर बहुत खुश हूं और यही वो बात है जिस कारण मैं अभी रुकना नहीं चाहती.

जब मैं पीछे की ओर देखती हूं तो उस वक्त का आभार मानती हूं जो मैंने अपनी मां के हाथ बिताए हैं. और, मैं हर समय मिलते रहे काम के लिए भी आभारी हूं, जो लोगों के सहयोग की वजह से संभव हुआ है.

मैं महिला हूं जिसे काम करना है

ऐसा कहा गया है कि घरेलू होना भी उतना ही चुनौतीपूर्ण है चाहे वह महिला हो या पुरुष. कुछ लोगों को काम की ‘जरूरत’ होती है तो कुछ लोगों के लिए यह ‘चाहत’ होती है. वहीं, कुछ लोगों के लिए यह दोनों होता है. और, तब कुछ लोग जिनके पास काम होता है और वे उस काम का आनंद लेते हैं. यही स्थिति उन्हें वो मुकाम दिलाती है जहां तक वे पहुंचे हैं.

मैं इस नतीजे पर पहुंची हूं कि मुझे काम करना है. मैं अभिनय से प्यार करती हूं और मुझे पता है कि मैं एक्टर बनी रहूंगी. मेरा अंदाजा है कि यह स्वाभाविक रूप से मेरे काम का विस्तार है, क्योंकि मैं एक्टरों के परिवार से हूं और यह मेरी जिंदगी का ऐसा पहलू है जो मुझे बतौर उपहार मिला है.

मुझे याद है कि जब मैं कॉलेज से निकली ही थी, मैंने हेयर एंड केयर के लिए अपना पहला एड कैंपेन किया था. वह उस समय लॉन्च ही हुआ था. काम के बदले जब मुझे मेरा चेक मिला तो मुझे इतना मजा आया कि मैं बोल उठी, “वाह. और उन्होंने इसके लिए मुझे पैसे भी दिए.”

2017 में ‘ढाई किलो प्रेम’ के सेट पर अपने परिजनों के साथ मानसी (सौजन्य फोटो- मानसी जोशी रॉय)

मैं स्पेक्ट्रम के दोनों तरफ रही हूं- घर में रुकने वाली मां और कामकाजी मां- हर बार किसी विकल्प के बिना. लेकिन, ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि ऐसा करने के लिए सहूलियतें भी थीं और मैं सौभाग्यशाली भी रही. मैं इन सबको मैनेज कर पायी, क्योंकि यह सब करने के लिए मुझे घर में मेरी सास का पूरा सहयोग मिला.

यह कहे बिना सबकुछ व्यर्थ है कि रोहित ने हमेशा मेरे हौसले को उड़ान दी. इस तरह घर से दफ्तर तक दौड़ एक बार फिर जारी है और मेरी तरह की सभी महिलाओं के लिए ऐसी ही कामना करती हूं. शुभकामनाएं.

(मानसी जोशी रॉय ने भारत की कामकाजी महिलाओं के बारे में हमारी स्टोरी की सीरीज के लिए अपना ब्लॉग द क्विन्ट को भेजा है.)

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Published: 21 Sep 2018,01:26 PM IST

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