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हिंसा प्रभावित मणिपुर (Manipur) में रविवार, 28 मई को कई इलाकों में आतंकियों और पुलिस, सेना व अर्धसैनिक बलों की संयुक्त कार्रवाई में में 40 आतंकी मारे गए हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के हवाले से बताया कि कई हथियारबंद आतंकियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है. ये विद्रोही आम नागरिकों के खिलाफ अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
रविवार को मणिपुर में आधा दर्जन से अधिक जगहों पर सशस्त्र समूहों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें हुईं, पीटीआई के मुताबिक यह ताजा झड़पें तब शुरू हुईं जब सेना ने राज्य में शांति कायम करने के लिए समुदायों को हथियारों से मुक्त करने को लेकर तलाशी अभियान शुरू किया.
एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि पश्चिम इंफाल के उरीपोक में बीजेपी विधायक ख्वाइरकपम रघुमणि सिंह के घर में तोड़फोड़ की गई और उनके दो वाहनों में आग लगा दी गई.
अधिकारियों ने बताया कि इंफाल घाटी के आसपास के विभिन्न जिलों में सुबह तड़के कई जगहों पर झड़पें हुईं. अधिकारी ने कहा, "हमारी जानकारी के मुताबिक , काकचिंग में सुगनू, चुराचांदपुर में कांगवी, इंफाल पश्चिम में कांगचुप, इंफाल पूर्व में सगोलमंग, बिशेनपुर में नुंगोईपोकपी, इंफाल पश्चिम में खुरखुल और कांगपोकपी में वाईकेपीआई से गोलीबारी की सूचना मिली है.
आपको बता दें कि मणिपुर में हिंसा की शुरुआत सबसे पहले 3 मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद हुई. जिसमें 75 से अधिक लोगों की जान लेने वाली हुईं, यह मार्च मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की मांग के विरोध में आयोजित किया गया था.
आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर तनाव से पहले हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे. मेइती मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
राज्य में हालात सामान्य करने के लिए अन्य अर्धसैनिक बलों के अलावा असम राइफल्स की लगभग 140 टुकड़ियां तैनात करनी पड़ीं जिसमें 10,000 से अधिक कर्मी शामिल हैं.
(इनपुट्स - पीटीआई & एएनआई)
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