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Manipur Violence: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हुई जातीय हिंसा मामले में की जांच को लेकर हाईकोर्ट के तीन रिटार्यड न्यायाधीशों की एक कमेटी का गठन किया. अदालत ने कहा कि कमेटी जांच के अलावा पुनर्वास और अन्य मुद्दों की भी निगरानी करेगी.
समिति एक "व्यापक आधार वाली समिति" होगी जो राहत, उपचारात्मक उपाय, पुनर्वास उपाय, घरों और पूजा स्थलों की बहाली सहित चीजों को देखेगी.
समिति के तीन सदस्य न्यायमूर्ति गीता मित्तल (जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश), न्यायमूर्ति शालिनी जोशी (बॉम्बे उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश) और न्यायमूर्ति आशा मेनन (दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश) होंगी.
जांच के संबंध में, कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने यौन हिंसा से संबंधित 11 एफआईआर सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है. कोर्ट ने कहा कि वह इन मामलों को सीबीआई को ट्रांसफर करने की इजाजत देगा. लेकिन इसमें कम से कम पांच डिप्टी एसपी रैंक के 5 अधिकारी भी शामिल होंगे, "यह सुनिश्चित करने के लिए कि विश्वास की भावना और निष्पक्षता की समग्र भावना हो".
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये अधिकारी सीबीआई के प्रशासनिक ढांचे के भीतर काम करेंगे.
न्यायालय ने कहा कि वह सीबीआई जांच की निगरानी के लिए एक अधिकारी नियुक्त करके "सुरक्षा की एक और परत" जोड़ेगा. इसके लिए अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी और मुंबई पुलिस आयुक्त दत्तात्रेय पडसलगीकर को पर्यवेक्षण अधिकारी के रूप में नियुक्त किया, जो कोर्ट को रिपोर्ट करेंगे.
अदालत ने कहा कि 42 एसआईटी ऐसे मामलों को देखेंगी जो सीबीआई को ट्रांसफर नहीं किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि इन एसआईटी के लिए वह अन्य राज्य पुलिस बलों से कम से कम एक इंस्पेक्टर को शामिल करने का आदेश देगा.
राज्य एसआईटी की निगरानी 6 डीआइजी रैंक के अधिकारियों द्वारा की जाएगी जो मणिपुर राज्य के बाहर के होंगे.
वहीं, सोमवाई को सुनवाई के दौरान मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह भी मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष पेश हुए.
इससे पहले, पिछली सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मणिपुर हिंसा मामले में पुलिस जांच को "धीमी" बताया था. पीठ ने कहा था कि घटनाओं के कई दिनों बाद एफआईआर दर्ज की गईं और गिरफ्तारियां बहुत कम हुई हैं.
सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामलों में अब तक हुई कार्रवाई सहित सभी मुद्दों पर शीर्ष अदालत द्वारा एक अगस्त को मांगी गई रिपोर्ट सौंपी.
वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया किया कि यौन हिंसा के ग्यारह मामलों की जांच सीबीआई द्वारा की जाएगी और राज्य अन्य मामलों के लिए एसआईटी का गठन करेगा.
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