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मणिपुर (Manipur) के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N. Biren Singh) ने केंद्र सरकार से पड़ोसी देश म्यांमार (Myanmar) के साथ फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) समझौते को स्थायी रूप से बंद करने का अनुरोध किया है. मणिपुर में अवैध अप्रवासियों की आवभगत को रोकने और मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए मणिपुर के सीएम ने एफएमआर पर रोक लगाने की मांग की है.
फ्री मूवमेंट रिजीम यानी एफएमआर सीमा के दोनों ओर रहने वाले नागरिकों को बिना वीजा के दूसरे देश के अंदर 16 किमी तक यात्रा करने की अनुमति देता है. यह केंद्र सरकार की एक एक्ट ईस्ट नीति के रूप में 2018 में म्यांमार और भारतीय सरकारों के बीच लागू की गई एक पारस्परिक रूप से सहमत व्यवस्था है, जो सीमा के दोनों ओर रहने वाले नागरिकों को बिना वीजा के दूसरे देश के अंदर 16 किमी तक यात्रा करने की अनुमति देती है.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शनिवार, 23 सितंबर को एफएमआर समझौते के संबंध में सख्त रुख अपनाने का अनुरोध किया है और केंद्र से इसे स्थायी रूप से रोक लगाने की भी बात कही है. सीएम बीरेन सिंह ने मणिपुर में हिंसा का एफएमआर को बड़ा जिम्मेदार बताते हुए कहा कि, "आज जो आग जल रही है, वह हाल ही में शुरू हुई आग नहीं है".
उन्होंने भारत और म्यांमार की सीमा पर अवैध अप्रवासियों को आने से रोकने के लिए बाड़ लगाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे अवैध रूप से भारत आने वाले लोगों की संख्या पर लगाम लगेगी.
मणिपुर सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा है कि राज्य में अवैध अप्रवासियों की पहचान करने के लिए बायोमेट्रिक्स को जारी रखने के लिए भी केंद्र सरकार से अनुरोध किया है. एनआरसी के लिए प्रारंभिक बायोमेट्रिक्स जो मौजूदा अशांति के कारण बाधित हो गया था, उसे अगले एक साल तक जारी रखा जाएगा.
बायोमेट्रिक्स स्कैनिंग सितंबर तक पूरी होनी थी, लेकिन हिंसा के कारण इसमें देरी हो गई.
मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, "संवेदनशील इलाकों में भारी सुरक्षा तैनाती के चलते गोलीबारी और हत्या की वारदातों में कमी आई है. संवेदनशील इलाकों में असम राइफल्स के जवानों की जगह सीआरपीएफ और बीएसएफ के जवानों को तैनात किया गया है".
पिछले डेढ़ साल में मणिपुर में भी बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी आए हैं. ऐसे प्रवासियों की पहचान के लिए राज्य सरकार द्वारा हाल ही में गठित एक समिति ने उनकी संख्या 2,187 बताई है. पिछले सितंबर में मोरेह में 5,500 अवैध आप्रवासियों को पकड़ा गया था और 4,300 को वापस भेज दिया गया था.
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