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मणिपुर में हिंसा जारी: 5 नागरिकों की मौत, BSF के 3 जवान घायल

Manipur Violence: जिले में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए, मंगलवार से पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया था.

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<div class="paragraphs"><p>मणिपुर में दूसरे दिन भी हिंसा जारी: 5 नागरिकों की मौत, BSF के 3 जवान घायल</p></div>
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मणिपुर में दूसरे दिन भी हिंसा जारी: 5 नागरिकों की मौत, BSF के 3 जवान घायल

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

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Manipur Violence: पूर्वी राज्य मणिपुर में फैली ताजा हिंसा में गुरुवार, 18 जनवरी को पांच नागरिकों की मौत हो गई और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के तीन जवान घायल हो गए. इससे एक दिन पहले, बुधवार (17 जनवरी) की सुबह तेंगनौपाल में सशस्त्र विद्राहियों के हमले में दो पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी और छह अन्य घायल हो गए थे, जिससे दो दिनों में मरने वालों की संख्या सात हो गई और नौ घायल हो गए.

राज्य के कई हिस्सों में 18 जनवरी को हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. सुरक्षाकर्मी और प्रशासन आठ महीने से चली आ रही हिंसा पर काबू पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

NDTV के अनुसार, बिष्णुपुर के एसपी मेघचंद्र सिंह ने बताया कि जिले में गुरुवार को दोपहर 2 बजे के आसपास निंगथोंग खा खुनौ में सशस्त्र बदमाशों ने चार लोगों की हत्या कर दी, जिनमें से सभी मैतेई थे.

मृतकों की पहचान निंगथौजम नबादीप (40), ओइनम बामोनजाओ (63), ओइनम मनिटोम्बा (37) और थियाम सोमेन (56) के रूप में हुई है.
गुरुवार दोपहर हथियारबंद बदमाशों के हमले में चार लोगों की मौत हो गई. हम सभी शवों को बरामद करने में कामयाब रहे हैं और उन्हें पोस्टमॉर्टम और अन्य औपचारिकताओं के लिए इंफाल में क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) भेज दिया है.
मेघचंद्र सिंह, पुलिस अधीक्षक बिष्णुपुर

कब हुआ हमला?

कथित तौर पर मारे गए चारों लोग एक खेत की जुताई कर रहे थे, जब उन पर हमला हुआ और मौतों के बाद, इंफाल घाटी के कुछ हिस्सों में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए. सुबह की एक अलग घटना में, इंफाल पश्चिम जिले के कांगचुप में सशस्त्र ग्रामीण स्वयंसेवकों के बीच गोलीबारी हुई, जहां 23 वर्षीय मैतेई तखेलंबम मनोरंजनन की मौत हो गई.

गुरुवार की घटनाएं बुधवार रात की हिंसक घटना के बाद सामने आई हैं, जब थौबल में भीड़ द्वारा सुरक्षा बलों और पुलिस प्रतिष्ठानों पर हमले के बाद बीएसएफ के तीन जवान गोली लगने से घायल हो गए थे.

पुलिस ने क्या कहा?

गुरुवार देर रात करीब 1 बजे मणिपुर पुलिस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "क्रोधित भीड़ ने थौबल जिले के खंगाबोक में तीसरी भारतीय रिजर्व बटालियन (IRB) को निशाना बनाया. सुरक्षा बलों ने बल का उपयोग करके उन्हें खदेड़ दिया.
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बयान में कहा गया है कि भीड़ ने थौबल पुलिस मुख्यालय में सेंध लगाने का प्रयास किया और भीड़ में से हथियारबंद बदमाशों ने गोलियां चलाईं.

परिणामस्वरूप, बीएसएफ के तीन कर्मी कांस्टेबल गौरव कुमार, एएसआई सोबराम सिंह और एएसआई रामजी गोली लगने से घायल हो गए. घायल सुरक्षा बलों को इलाज के लिए राज मेडिसिटी ले जाया गया है. हमले के बाद थौबल में पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया.
मणिपुर पुलिस द्वारा जारी बयान

प्रशासन ने लगाया कर्फ्यू, MHA से मांगा एक हेलीकॉप्टर

अधिकारियों ने कहा कि यह हमला बुधवार सुबह की घटनाओं की प्रतिक्रिया थी, जब म्यांमार की सीमा से लगे मोरेह में सशस्त्र आतंकवादियों के आरपीजी हमले में दो पुलिस कमांडो, दोनों मेइतेई, मारे गए और छह अन्य घायल हो गए.

जिले में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए, मंगलवार से पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया था, मणिपुर सरकार ने सुरक्षा कर्मियों और गोला-बारूद को मोरे तक पहुंचाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से एक हेलीकॉप्टर भी मांगा था.

'तनाव बढ़ना चिंता का कारण'

मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने स्वीकार किया कि बढ़ा हुआ तनाव चिंता का कारण है, राज्य भर में सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया गया है,

बलें चीजों को सख्त करने की कोशिश कर रही हैं लेकिन किसी न किसी तरह कुकी आतंकवादी निर्दोष नागरिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.
कुलदीप सिंह, सुरक्षा सलाहकार,मणिपुर सरकार

आठ महीने से जारी हिंसा

मई 2023 से, मणिपुर बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और आदिवासी कुकी के बीच जातीय हिंसा की चपेट में है, अन्य समुदाय भी इस हिंसा में तेजी से शामिल हो रहे हैं जो लगातार जारी है.

पिछले आठ महीनों में कम से कम 207 लोगों की जान गई है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

सुरक्षा बलों ने विभिन्न सीमावर्ती जिलों में बफर जोन बनाए हैं, जिन्हें जातीय आधार पर भी विभाजित किया गया है.

उन्होंने शिविर भी स्थापित किए हैं और राजमार्ग पर तैनात हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समूह अलग रहें, एक-दूसरे के जिलों में प्रवेश न करें और हिंसा न भड़कें.

सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, अक्सर दोनों समूहों के आतंकवादी दूसरे जिलों में घुसने और एक-दूसरे पर हमला करने के लिए पहाड़ियों और जंगल क्षेत्र का उपयोग करते हैं.

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