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Manipur Violence: पूर्वी राज्य मणिपुर में फैली ताजा हिंसा में गुरुवार, 18 जनवरी को पांच नागरिकों की मौत हो गई और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के तीन जवान घायल हो गए. इससे एक दिन पहले, बुधवार (17 जनवरी) की सुबह तेंगनौपाल में सशस्त्र विद्राहियों के हमले में दो पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी और छह अन्य घायल हो गए थे, जिससे दो दिनों में मरने वालों की संख्या सात हो गई और नौ घायल हो गए.
राज्य के कई हिस्सों में 18 जनवरी को हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. सुरक्षाकर्मी और प्रशासन आठ महीने से चली आ रही हिंसा पर काबू पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
NDTV के अनुसार, बिष्णुपुर के एसपी मेघचंद्र सिंह ने बताया कि जिले में गुरुवार को दोपहर 2 बजे के आसपास निंगथोंग खा खुनौ में सशस्त्र बदमाशों ने चार लोगों की हत्या कर दी, जिनमें से सभी मैतेई थे.
कथित तौर पर मारे गए चारों लोग एक खेत की जुताई कर रहे थे, जब उन पर हमला हुआ और मौतों के बाद, इंफाल घाटी के कुछ हिस्सों में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए. सुबह की एक अलग घटना में, इंफाल पश्चिम जिले के कांगचुप में सशस्त्र ग्रामीण स्वयंसेवकों के बीच गोलीबारी हुई, जहां 23 वर्षीय मैतेई तखेलंबम मनोरंजनन की मौत हो गई.
गुरुवार की घटनाएं बुधवार रात की हिंसक घटना के बाद सामने आई हैं, जब थौबल में भीड़ द्वारा सुरक्षा बलों और पुलिस प्रतिष्ठानों पर हमले के बाद बीएसएफ के तीन जवान गोली लगने से घायल हो गए थे.
बयान में कहा गया है कि भीड़ ने थौबल पुलिस मुख्यालय में सेंध लगाने का प्रयास किया और भीड़ में से हथियारबंद बदमाशों ने गोलियां चलाईं.
अधिकारियों ने कहा कि यह हमला बुधवार सुबह की घटनाओं की प्रतिक्रिया थी, जब म्यांमार की सीमा से लगे मोरेह में सशस्त्र आतंकवादियों के आरपीजी हमले में दो पुलिस कमांडो, दोनों मेइतेई, मारे गए और छह अन्य घायल हो गए.
जिले में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए, मंगलवार से पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया था, मणिपुर सरकार ने सुरक्षा कर्मियों और गोला-बारूद को मोरे तक पहुंचाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से एक हेलीकॉप्टर भी मांगा था.
मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने स्वीकार किया कि बढ़ा हुआ तनाव चिंता का कारण है, राज्य भर में सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया गया है,
मई 2023 से, मणिपुर बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और आदिवासी कुकी के बीच जातीय हिंसा की चपेट में है, अन्य समुदाय भी इस हिंसा में तेजी से शामिल हो रहे हैं जो लगातार जारी है.
पिछले आठ महीनों में कम से कम 207 लोगों की जान गई है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
सुरक्षा बलों ने विभिन्न सीमावर्ती जिलों में बफर जोन बनाए हैं, जिन्हें जातीय आधार पर भी विभाजित किया गया है.
उन्होंने शिविर भी स्थापित किए हैं और राजमार्ग पर तैनात हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समूह अलग रहें, एक-दूसरे के जिलों में प्रवेश न करें और हिंसा न भड़कें.
सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, अक्सर दोनों समूहों के आतंकवादी दूसरे जिलों में घुसने और एक-दूसरे पर हमला करने के लिए पहाड़ियों और जंगल क्षेत्र का उपयोग करते हैं.
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