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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सोमवार, 31 जुलाई को मणिपुर (Manipur) में दो महिलाओं को नग्न घुमाने के मामले को एक अलग राज्य में ट्रांसफर करने के केंद्र के अनुरोध पर सुनवाई करेगा. दोनों महिलाओं ने केंद्र और मणिपुर सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिकाओं में अनुरोध किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करे और निष्पक्ष जांच का आदेश दे. सर्वाइवर्स ने यह भी अनुरोध किया है कि उनकी पहचान सुरक्षित रखी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते मणिपुर से आए "बेहद परेशान करने वाले" वीडियो की निंदा की थी, जिसमें कहा गया था कि यह दृश्य "घोर संवैधानिक विफलता" दिखाते हैं. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार से क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने और अदालत को उसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट भी बताने के लिए कहा था.
दोनों महिलाओं के वीडियो की विपक्षी नेताओं ने व्यापक निंदा की है. मणिपुर के एक आदिवासी संगठन ने आरोप लगाया है कि दो महिलाओं के साथ एक खेत में गैंग रेप किया गया.
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) का दावा है कि यह घटना 4 मई को कांगपोकपी जिले में हुई, जो राज्य की राजधानी इंफाल से 35 किलोमीटर दूर है.
हालांकि, पुलिस का दावा है कि घटना एक अलग जिले में हुई, भले ही FIR कांगपोकपी में दर्ज की गई थी.
यह भयावह घटना मणिपुर में मैतेई और कुकी जनजातियों के बीच अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के बाद भड़की हिंसा के एक दिन बाद हुई.
सुप्रीम कोर्ट 28 जुलाई को मणिपुर में जातीय हिंसा से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई करने वाला था, लेकिन सीजेआई चंद्रचूड़ के बीमार पड़ने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी गई.
मणिपुर सरकार और गृह मंत्रालय दोनों ने क्रमशः 26 जुलाई और 27 जुलाई को मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की. इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
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