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तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu Government) ने 28 अप्रैल को यूट्यूबर मनीष कश्यप (Youtuber Manish Kashyap) के खिलाफ दर्ज FIR को क्लब करने की याचिका का विरोध किया है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मनीष कश्यप के FIR को क्लब करने की याचिका का विरोध करते हुए, तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि, "वह सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय अखंडता को बिगाड़ने के बाद संवैधानिक अधिकार के तहत राहत की मांग नहीं कर सकता."
मनीष कश्यप पर बिहारी प्रवासियों के खिलाफ हमलों के बारे में फर्जी खबरें फैलाने के आरोपों पर कोर्ट में सुनवाई की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने कहा कि,
राष्ट्रव्यापी दुष्प्रचार अभियान (National Disinformation Campaign) से लड़ने के लिए दोनों राज्यों के पुलिस विभागों द्वारा अपनाए गए बहु-आयामी दृष्टिकोण को हाइलाइट करने के बाद- जिसमें तमिलनाडु में विभिन्न कारखानों और लेबर कैम्पों का दौरा करना और प्रवासी श्रमिकों के साथ बातचीत करना और सोशल मीडिया पर अफवाहों और प्रचार का मुकाबला करना शामिल था.
सरकार ने दावा किया है कि अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया होता, तो हिंसा और दक्षिणी राज्य में दंगे शुरू हो जाते, जिससे जान-माल का नुकसान होता, इसके अलावा राष्ट्रीय अखंडता को भी खतरा होता. हलफनामे में आगे कहा गया है कि चूंकि देश भर के लगभग 10 लाख प्रवासी मजदूर राज्य भर में कार्यरत हैं, इसलिए देश की अर्थव्यवस्था को भी काफी नुकसान हुआ होता.
अंत में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि सभी छह मामलों की फेयर और निष्पक्ष तरीके से और कानून के अनुसार जांच की जा रही है, जांच भी कराई जाएगी.
राज्य सरकार ने आगे बताया कि मनीष कश्यप वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत नजरबंदी के बाद केंद्रीय कारागार, मदुरै में बंद है. याचिका, जिसे आज पोस्ट किया गया था, सोमवार (1 मई) तक के लिए स्थगित कर दी गई. बता दें कि पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान बिहार सरकार के वकील ने भी मामलों को पटना ट्रांसफर करने का विरोध किया था.
(न्यूज इनपुट्स - लाइव लॉ)
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