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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लगातार कह रहे हैं कि देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और अर्थव्यवस्था एक खतरनाक मंदी के बीच फंस गई है. सरकार का पहला कदम तो ये होना चाहिए कि वो माने कि देश संकट का सामना कर रहा है.
कांग्रेस की एक मीटिंग के बाद हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनमोहन सिंह ने कहा कि रियल एस्टेस से मैन्युफेक्चरिंग तक हर सेक्टर में स्लोडाउन है. अगर हालात नहीं बदले तो सबसे बुरा असर रोजगार पर पड़ेगा. अगर इनकम लगातार कई महीने तक घटी तो युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के अवसर कम हो जाएंगे. ग्रोथ रेट लगातार पांच तिमाही से नीचे जा रही है और अब 5% पर आ गई है. सबसे खतरनाक बात ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी पांच साल की बीजेपी सरकार में बढ़ी ही नहीं है.
मनमोहन सिंह ने कहा, इस साल के पहले छह महीने में सिर्फ महानगरों में ही 4.5 लाख घर बनकर तैयार हैं, लेकिन उन्हें कोई खरीदने वाला नहीं है. अगर रियल एस्टेट में मंदी है तो रोजगार नहीं मिलते. रुपया कमजोर से कमजोर होता जा रहा है. इसका फायदा उठाकर निर्यात बढ़ा सकते थे. लेकिन बीजेपी सरकार के पांच सालों में निर्यात बढ़े नहीं है, नतीजा ये है कि देनदारी बढ़ी है. आज माहौल है कि निवेश नहीं हो रहा है.
इससे पहले दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार के अप्रोच में फोकस गायब है. हेडलाइन बनाने की आदत पड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार को सभी विशेषज्ञों और पक्षों की बात को खुले दिमाग से सुनना चाहिए. इसी इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने इकनॉमी को पटरी पर लाने के 5 तरीके भी सुझाए
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