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4.5% GDP पर बोले मनमोहन- भय को खत्म कीजिए तब ठीक होगी इकनॉमी

GDP और गिरने पर बोले मनमोहन- भय को खत्म कीजिए 

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GDP और गिरने पर बोले मनमोहन- भय को खत्म कीजिए तब ठीक होगी इकनॉमी
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GDP और गिरने पर बोले मनमोहन- भय को खत्म कीजिए तब ठीक होगी इकनॉमी
(फोटो: The Quint)

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पूर्व प्रधानमंत्री और जाने-माने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर चिंता जताई है. मनमोहन सिंह का कहना है कि अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के लिए हमें अपनी अर्थव्यवस्था में मौजूदा भय को खत्म करना होगा.

दूसरी तिमाही में 4.5% की जीडीपी ग्रोथ पर मनमोहन सिंह ने कहा, “अर्थव्यवस्था में 8 फीसदी की ग्रोथ के लिए हमें अपनी अर्थव्यवस्था में मौजूदा भय को खत्म करना होगा और आत्मविश्वास पैदा करना होगा. अर्थव्यवस्था की स्थिति अपने समाज की स्थिति का प्रतिबिंब है. विश्वास का हमारा सामाजिक ताना-बाना अब टूट गया है.”

मनमोहन सिंह ने कहा, "आज जीडीपी के आंकड़े जारी कर दिए गए. ये अस्वीकार्य है. हमारा देश 8-9% जीडीपी ग्रोथ की उम्मीद करता है. Q1 से Q2 में जीडीपी का 5% से 4.5% तक गिरना चिंताजनक है. आर्थिक नीतियों में बदलाव से ही अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद नहीं मिलेगी."

हमारे देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति वाकई चिंताजनक है. लेकिन मैं कहूंगा कि हमारे समाज की स्थिति उससे भी ज्यादा चिंताजनक है.
मनमोहन सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री 

मोदीनोमिक्स का पकोड़ा एकनामिक विजन

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस जीडीपी गिरावट को ‘मोदीनोमिक्स’ का ‘पकोड़ा एकनामिक विजन’ नाम दिया है. सुरजेवाला ने कहा, "बीजेपी सरकार के 6 सालों में विकास केवल बीजेपी के उन पूंजीपति मित्रों का हुआ है, जिन्होंने बीजेपी को ‘अरबपति पार्टी’ बना दिया. आम आदमी और ईमानदार करदाताओं के लिए तो बचा है- ‘सब चंगा सी’. पर असल में देश में ‘मंदी और तालाबंदी’ के चलते- ‘सब मंदा सी’."

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रणदीप सुरजेवाला ने ये भी कहा कि भारत की जीडीपी 4.5% तक गिर गई है. देश एक वर्चुअल फ्री-फॉल में हैं. ये 6 साल में सबसे कम जीडीपी तिमाही है. लेकिन बीजेपी जश्न क्यों मना रही है? क्योंकि जीडीपी (गोडसे डिविजिव पॉलिटिक्स) पर उनकी समझ डबल डिजिट ग्रोथ का सुझाव देती है.

जीडीपी में 6 साल में सबसे बड़ी गिरावट

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही में जीडीपी 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है. यह छह साल की सबसे बड़ी गिरावट है. पहले तिमाही में विकास दर 5% पर थी. जबकि 2018-19 की दूसरी तिमाही में ग्रोथछ 7 फीसदी पर रही.

वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था ऊंची जीएसटी दरों, कृषि संकट, वेतन में कमी और नकदी की कमी की वजह से 'मंदी' का सामना कर रही है. उपभोग में मंदी के रुझान को अर्थशास्त्री मंदी के तौर पर जिक्र करते हैं, जो कि जीडीपी विकास दर में लगातार गिरावट का प्रमुख कारण है. इसके परिणामस्वरूप ऑटोमोबाइल, पूंजीगत वस्तुएं, बैंक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, एफएमसीजी और रियल एस्टेट समेत सभी प्रमुख सेक्टरों में भारी गिरावट आई है.

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Published: 29 Nov 2019,07:46 PM IST

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