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हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने विश्वास मत जीत लिया. कांग्रेस की ओर से विधानसभा में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया. खट्टर सरकार के पक्ष में 55 वोट पड़े.
हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीट हैं, लेकिन फिलहाल सदन में 88 विधायक हैं. बहुमत के लिए 45 का आंकड़ा चाहिए. अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं. वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी के पास 40, सहयोगी दल जेजेपी के पास 10 और 5 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है. वोटिंग से पहले बीजेपी ने सरकार के पास 55 विधायकों के समर्थन का दावा किया था.
विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में खट्टर सरकार के समर्थन में 55 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 32 वोट पड़े. इस तरह मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने 55 वोटों की मदद से विश्वास मत हासिल कर लिया.
कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव से पूर्व हरियाणा सरकार में सहयोगी जेजेपी ने कृषि कानून और किसान आंदोलन को लेकर बगावती तेवर दिखाए थे.
जेजेपी विधायक देवेंद्र सिंह बबली ने कहा था कि “सरकार को 15 दिनों के अंदर किसानों के मुद्दे को हल कर देना चाहिए, नहीं तो हमें सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेना चाहिए.”
देवेंद्र सिंह बबली का कहना था कि “ऐसी स्थिति आ गई है कि लोग हमें अपने गांवों में घुसने नहीं दे रहे हैं.”
मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया है लेकिन पिछले कुछ दिनों से सरकार और सहयोगी दल जेजेपी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर जेजेपी और बीजेपी में मतभेद देखने को मिले हैं.
हालांकि इसके बावजूद बुधवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विश्वास मत हासिल कर लिया.
अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के बाद कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि “सरकार बेनकाब हो चुकी है. हमने स्पीकर से गोपनीय वोटिंग करने की मांग की थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.अगर सीक्रेट वोटिंग होती तो नतीजे कुछ और होते.”
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