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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, शादी के लिए लड़कों को अगवा किए जाने (पकड़वा विवाह) के मामले में बिहार देश में पहले स्थान पर है. पिछले 5 साल से इस अपराध का ग्राफ लगातार ऊपर ही चढ़ता जा रहा है. आखिर क्यों?
इस गणतंत्र दिवस से ठीक पहले बिहार में दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए मानव श्रृंखला बनाई गई. इन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सरकारी अभियान के तहत लोगों का चेन बनाकर आगे आना ये बताने के लिए काफी है कि देश के बाकी हिस्सों की तरह बिहार भी इस बीमारी से ग्रस्त है. पकड़वा विवाह की कड़ी इन्हीं कुरीतियों से सीधे-सीधे जुड़ती है.
चूंकि देश में हर जगह इस तरह के अपराध नहीं होते, इसलिए पहले ये समझना जरूरी है कि पकड़वा विवाह है क्या? दरअसल, प्रदेश में हर साल कुछ हजार नवयुवक शादी के मकसद से अगवा किए जाते हैं. पकड़े जाने के बाद लड़की वाले इनकी जबरन शादी करा देते हैं. लड़के और उनके परिवारवालों पर इस शादी को 'मान्यता देने' का दबाव बनाया जाता है.
दहेज लेना और देना, दोनों कानूनन जुर्म है, ये सबको मालूम है. लेकिन हर किसी को ये भी मालूम है कि इस कानून को जमीन पर उतारने वाली मशीनरी किस हद तक लचर है. ज्यादातर मामलों में दोनों ही पक्ष आपसी रजामंदी से लेन-देन करते हैं, इसलिए मामले कोर्ट-कचहरी तक नहीं पहुंचते. नतीजतन ये कुप्रथा चलती रहती है. पकड़वा विवाह को काफी हद तक दहेज प्रथा का साइड इफेक्ट माना जा सकता है.
लड़की वाले किसी खास लड़के को अगवा करने से पहले कई बातों पर गौर करते हैं. इसका कोई बंधा-बंधाया फॉर्मूला तो नहीं है, लेकिन गौर किए जाने लायक कई फैक्टर हो सकते हैं:
एक बार लड़के के घूमने-फिरने और डेली रुटीन पर गौर किए जाने के बाद लड़के को अगवा किया जाता है. कई बार इस काम के लिए लड़की वाले प्रोफेशनल गुंडों की मदद लेते हैं. इन गुंडों को पहले ही ये हिदायत दे दी जाती है कि अगर लड़का अपनी 'भावी ससुराल' जाने के रास्ते में ज्यादा शोर मचाए, तो उसकी 'सूखी धुलाई' कर दी जाए. ज्यादा पीटकर अंग-भंग करने की मनाही होती है.
लड़की वाले के घर में आनन-फानन में तैयार मंडप पर दोनों की शादी करा दी जाती है. साथ ही दूल्हे को कुछ दिनों तक ससुराल में ही जबरन रोके रखा जाता है, जिससे वह लड़की और परिवार के अन्य सदस्यों से ज्यादा घुल-मिल सके.
ऐसे भी मामले देखे गए हैं कि शादी के बाद लड़का चंगुल से भाग निकला और इस तरह की शादी को मानने से ही इनकार कर दिया. अक्सर शादी के बाद लड़कों को बाइज्जत उनके घर पहुंचा दिया जाता है. ये धमकी भी दी जाती है कि वे जल्द से जल्द दुल्हन को अपने घर लाने की तैयार करें. लेकिन हर बार ऐसी शादी सफल हो जाए, ये जरूरी नहीं.
ऐसी शादियों के इतने तरह के अंजाम हो सकते हैं:
यही वजह है कि कुछ लड़की वाले पकड़वा विवाह का जुआ खेलने से बाज नहीं आते. अगर जीत गए, तो बिना दहेज के कन्या के हाथ पीले. अगर हार गए, तो इसे तकदीर का खेल समझकर नए सिरे से शादी रचाने की जुगत.
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