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एक स्टडी से यह पता चला है कि अगर मां डिप्रेशन में चली जाती है तो उसके बच्चे पर भी इसका गहरा असर होता है. बच्चों के मानसिक विकास पर इसका सीधा असर पड़ता है और उनकी दूसरों के प्रति हमदर्दी भी कम हो जाती है. स्वभाव में कठोरता आ जाती है.
इस्राइल की बार-इलान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रुथ फेल्डमैन की स्टडी के मुताबिक, माता और बच्चे एक दूसरे के साथ अधिक समय रहते हैं, इसलिए वह एक दूसरे को अच्छे से समझते हैं. लेकिन जब माता अपने बच्चे से कम बात करती है, तो बच्चों के दिमाग में उथल-पुथल होने लगती है.
जर्नल ऑफ द अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोल्सेंट फिजीचियटरी (JAACAP) में छपी स्टडी के मुताबिक औद्योगिक समाज में रहने वाली 15-18 फीसदी महिलाएं और विकसित देशों में 30% तक महिलाएं डिप्रेशन का शिकार होती है.
स्टडी के मुताबिक, बच्चों में इस तरह का दिमागी डिप्रेशन का असर पड़ना चिंता का विषय है और इसका इलाज होना चाहिए.
किसी भी इंसान का दुखी होना स्वाभाविक है लेकिन जब वह लंबे समय तक किसी दुख, परेशानी या चिंता को मन में बनाए रखता है और उनके बारे में ही मंथन करता रहता है तो वह डिप्रेशन का शिकार कहलाता है.
कहीं आप भी डिप्रेशन के शिकार तो नहीं? नीचे दिए गए लक्ष्णों में जरूरी नहीं कि यह सभी लक्ष्ण डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति में होते हैं बल्कि इनमें से कुछ लक्षण होने पर भी आप डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं.
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