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उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में जवाहर बाग की बागवानी विभाग की करीब 100 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा हटाने पहुंची पुलिस और कब्जेधारियों के लिए बीच हुए भीषण संघर्ष में एसपी (सिटी) मुकुल द्विवेदी और SHO संतोष कुमार की मौत हो गई.
साथ ही पुलिस की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई में अतिक्रमण हटाने का विरोध कर रहे 22 उपद्रवियों की मौत हो गई और 40 से ज्यादा घायल हो गए.
जवाहर बाग इलाके में हिंसा तब शुरु हुई जब इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर पुलिस कर्मी, जवाहर बाग में अतिक्रमणकारियों को हटाने की कोशिश कर रहे थे. जानकारी के मुताबिक, अतिक्रमण करने वाले आजाद भारत विधिक वैचारिक क्रांति सत्याग्रही संगठन के कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पथराव कर दिया.
पुलिस महानिरीक्षक के मुताबिक, इस टकराव में दो दर्जन पुलिसकर्मियों समेत कम से कम चार दर्जन लोग घायल हो गए.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए, मृतक पुलिस कर्मियों के परिजनों को 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का ऐलान किया है. उन्होंने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) को मौके पर जाकर स्थिति को तत्काल काबू करने के निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने घटनास्थल पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने और दोषियों को गिरफ्तार करने का निर्देश भी दिया है.
डीएम राजेश कुमार ने बताया कि कार्यकर्ताओं के नेता राम वृक्ष यादव और समूह के सुरक्षा अधिकारी चंदन गौर वहां से अपने हजारों समर्थकों के साथ भाग गए. उन्होंने बताया कि अतिक्रमणकारी पिछले ढाई साल से सरकारी बाग पर कब्जा जमाए बैठे थे. उन्हें कई बार नोटिस देकर मौके से हट जाने को कहा गया था. पिछले दो महीने से उनको बलपूर्वक हटाए जाने के प्रयास किए जा रहे थे.
डीएम ने बताया कि कार्यकर्ताओं ने हैंड ग्रेनेड का उपयोग करने के साथ ही पेडों पर पोजीशन ले कर स्वचालित हथियारों से गोलीबारी शुरु कर दी, जिसके चलते हैंड ग्रेनेडों और एलपीजी सिलिंडरों के विस्फोट से पूरे इलाके में धुआं फैल गया. इसके बाद कई झोपड़ों में आग लग गई. उन्होंने बताया कि बाग में डटे हुए सभी तथाकथित सत्याग्रहियों को खदेड़ कर पुलिस ने कब्जा कर लिया है.
करीब दो साल पहले, बाबा जय गुरुदेव से अलग हुए समूह के कार्यकर्ताओं ने खुद को ‘‘आजाद भारत विधिक विचारक क्रांति सत्याग्रही’’ घोषित किया था और धरने की आड़ में जवाहर बाग की सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया था. उनकी मांगों में भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द करना, वर्तमान करेन्सी की जगह ‘आजाद हिंद फौज’ करेन्सी शुरु करना, एक रुपये में 60 लीटर डीजल और एक रुपये में 40 लीटर पेट्रोल की बिक्री करना शामिल है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल ही में प्रशासन के अधिकारियों को वह जमीन खाली कराने का आदेश दिया था.
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