Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019अमित शाह को गवाह बनाने वाली अर्जी का SIT ने किया विरोध

अमित शाह को गवाह बनाने वाली अर्जी का SIT ने किया विरोध

28 फरवरी, 2002 को हुए दंगे में 96 लोग मारे गए थे. इस मामले में बीजेपी की पूर्व मंत्री माया कोडनानी मुख्य आरोपी हैं.

द क्विंट
भारत
Published:
बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह (फाइल फोटो: Reuters)
i
बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह (फाइल फोटो: Reuters)
null

advertisement

गुजरात में 2002 के नरोदा पाटिया दंगे मामले में नया मोड़ आया है. इस मामले में बीजेपी की पूर्व मंत्री माया कोडनानी ने पिछले महीने ही एक अर्जी देकर बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत 14 लोगों को गवाह बनाने की मांग की थी.

लेकिन स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ने सोमवार को माया कोडनानी की गुजरात हाई कोर्ट में की गयी उस याचिका का विरोध किया जिसमें माया ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगों के मामले में अपनी गैरमौजदूगी साबित करने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को तलब करने की मांग की है.

जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस ए एस सुपेहिया की पीठ के समक्ष कोडनानी की दाखिल पेटिशन का विरोध करते हुए एसआईटी ने दलील दी कि देरी से दाखिल की गयी पेटिशन कानूनन स्वीकार्य नहीं है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.

28 फरवरी, 2002 को हुए इस दंगे में 96 लोग मारे गए थे

माया कोडनानी ने नरोदा पाटिया दंगा मामले में खुद को दोषी करार दिये जाने और 28 साल कैद की सजा सुनाने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने अपराध में शामिल नहीं होने और उस वक्त कहीं और मौजूद होने की बात साबित करने के लिए अतिरिक्त गवाहों के तौर पर अमित शाह के साथ सात और लोगों को तलब करने की मांग की है.

नरोदा गाम में 2002 के दंगों के एक और मामले में सुनवाई कर रही विशेष एसआईटी ने इस मामले में भी आरोपी माया को अमित शाह समेत 14 गवाहों को बुलाने की इजाजत हाल ही में दी थी जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में पेटिशन दाखिल की.

एसआईटी ने लोअर कोर्ट में नरोदा गाम दंगा मामले में कोडनानी की पेटिशन का विरोध नहीं किया था. लेकिन नरोदा पाटिया मामले में हाई कोर्ट में उनकी अर्जी का विरोध करते हुए एसआईटी ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष उन सभी गवाहों को बुलाने के लिए बाध्य नहीं है जिनका जिक्र आरोपपत्र में किया गया है.

अदालत 25 अप्रैल को दोनों पक्षों की दलीलें सुनेगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT