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पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) के स्कूल में 30 अप्रैल को दो नाबालिग लड़कियों के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई और एक बाहरी व्यक्ति ने जबरन उनके कपड़े उतरवाए. स्कूल के एंट्री गेट पर ना तो कोई सीसीटीवी है, ना कोई गार्ड ड्यूटी. द क्विंट की रिपोर्टर पूर्वी दिल्ली के इसी स्कूल पहुंचीं, ये जानने कि पूरा मामला क्या है और इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार है?
स्कूल में लड़कियों के साथ हुए कथित यौन शोषण का मामला घटना के 4 दिन बाद हाइलाइट हुआ. दरअसल, दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने 4 मई को EDMC को समन जारी किया था. इसमें कहा गया था कि एक व्यक्ति ने प्राथमिक विद्यालय में घुसकर आठ साल की दो छात्राओं का यौन उत्पीड़न किया.पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि व्यक्ति की पहचान कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा
मामले में जहां EDMC स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक पर एक्शन लेने की बात कर रहा है. तो दूसरी तरफ स्कूल का कहना है कि सुरक्षा में चूक की बड़ी वजह EDMC की तरफ से स्कूल में CCTV न लगाया जाना है.
EDMC के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने उस समय ड्यूटी पर तैनात प्रिंसिपल और एक शिक्षक को निलंबित कर दिया है. साथ ही एक दूसरे शिक्षक को बर्खास्त भी किया है. एक उपनिदेशक को 'सुरक्षा चूक' पर चेतावनी दी है. हालांकि, स्कूल प्रशासन ने कहा कि EDMC को CCTV लगाना चाहिए और गार्ड भी नियुक्त करना चाहिए.
द क्विंट से बात करते हुए, दोपहर के स्कूल बैच के एक वरिष्ठ प्रशासक ने कहा,
दूसरी तरफ मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने द क्विंट से बातचीत में फंड की कमी को वजह बताते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया.
स्कूल के अधिकारियों का कहना है कि घटना 30 अप्रैल की सुबह हुई, जब छात्र सुबह की सभा के बाद क्लास में गए थे. दिन के दौरान, स्कूल अटेंडेंट से स्कूल की निगरानी की अपेक्षा की जाती है. वहीं अटेंडेंट ने द क्विंट को बताया, "ड्यूटी पूरा करने के लिए मुझे स्कूल का चक्कर लगाना पड़ता है, जिससे मेरे लिए पूरे दिन गेट की रखवाली करना संभव नहीं होता. "
इसके अलावा, एक सफाई कर्मचारी भी नजर रखता है. उसकी जिम्मेदारी है कि कोई भी बाहर से स्कूल में ना घुसे. दो साल पहले स्कूल में गार्ड रूम बना था, लेकिन स्कूल के समय में यह खाली रहता है. एक नाइट गार्ड शाम 6 बजे से सुबह 7.30 बजे तक गेट की निगरानी करता है.
दूसरे एमसीडी स्कूलों की तरह – जब दिन में कक्षाएं शुरू होती है तो माता –पिता के स्कूल परिसर के अंदर बच्चों को उनकी कक्षाओं तक ले जाते हैं. इसकी इजाजत स्कूल ने ही उन्हें दे रखी है. अटेंडेंट का कहना है कि उसने इसे रोकने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने द क्विंट को बताया कि हो सकता है कि माता-पिता के साथ स्कूल में कोई अज्ञात शख्स भी घुस गया हो और उस पर “किसी का ध्यान न गया हो.”
स्कूल में दिन के दौरान लगभग 700 लड़कियां और दोपहर के बैच में 700 लड़के हैं. छात्र नर्सरी से कक्षा 5 तक पढ़ते हैं. अधिकांश छात्र आस-पास से आते हैं और स्कूल दोनों बैचों को मिड डे मील देता है.
दिल्ली महिला आयोग ने जब घटना के बारे में बताया तो उत्तर पूर्वी दिल्ली के डीसीपी कार्यालय ने कहा कि पोक्सो में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने कहा
पुलिस के मुताबिक, 6 मई को लगातार कोशिशों के बाद, संदिग्ध का पता चला और उससे लंबी पूछताछ की गई. संदिग्ध के बारे में जानकारी जुटाई गई. इसके बाद पुलिस ने लगभग 40 वर्ष के एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया. उसकी पहचान वरुण जोशी के रूप में हुई है. उस व्यक्ति ने उस समय नशे में होने का दावा किया था.
पुलिस ने बताया कि वे इस मामले में स्कूल के अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे थे.
एक अभिभावक, जिनकी बेटी कक्षा 5 तक उसी स्कूल में पढ़ती थी और अब EDMC की सीनियर सेकेंडरी स्कूल में चली गई है, ने द क्विंट से बातचीत में कहा ,
EDMC के ही दूसरे स्कूल में काम करने वाले एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 10 में से सिर्फ एक स्कूल में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. उन्होंने कहा, “मैं मोहन पुरी के एक स्कूल में नाइट ड्यूटी पर चौकीदार का काम करता हूं लेकिन दिन में कोई ड्यूटी नहीं करता है. कई साल पहले मैं अपनी बेटियों को इस स्कूल में भेजता था. लेकिन फिर मैंने सुरक्षा और अनुशासन की कमी के कारण उन्हें एक निजी स्कूल में डाल दिया”
मेयर के मुताबिक
हाल ही में ईडीएमसी ने दिल्ली सरकार पर फंड रोकने का आरोप लगाया था. इसके चलते वो शिक्षकों को सैलरी नहीं दे पा रही थी. कुछ हफ्ते पहले ईडीएमसी ने कहा था कि वे इसी वजह से अपने वेंडरों के लिए सर्टिफिकेट नहीं छाप सकते.
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