Home News India Me, The Change: मिलिए रैंप वाॅक की ‘डेफ क्वीन’ देशना जैन से
Me, The Change: मिलिए रैंप वाॅक की ‘डेफ क्वीन’ देशना जैन से
मी, द चेंज: एक ऐसा कैंपेन जो पूरे भारत में पहली बार वोट देने वाली महिला मतदाताओं के मुद्दों पर चर्चा कर रहा है.
वत्सला सिंह
भारत
Published:
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मिलिए मिस डेफ इंडिया 2018 देशना जैन से
(फोटो: द क्विंट)
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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान
देशना जैन मध्य प्रदेश के एक छोटे शहर टीकमगढ़ में पली-बढ़ीं. उन्होंने मिस डेफ एशिया, 2018 बनकर सुर्खियां बटोरीं.
स्टेज पर मैं सभी कंटेसटेंट्स के साथ खड़ी थी. जब विनर घोषित हुए तो मैं बस यही उम्मीद कर रही थी कि मेरा नाम शायद आएगा या शायद नहीं आएगा. मैं बस इंतजार कर रही थी. ऑडियंस से मुझे मेरा साइन नेम दिखा-देशना जैन... देशना जैन फिर मैं समझ गई कि मैं जीत चुकी हूं.
देशना जैन
21 साल की इस लड़की ने इससे पहले मिस इंडिया डेफ का खिताब जीता था, जहां उनका मुकाबला 20 राज्यों के 80 कंटेस्टेंट के साथ हुआ.
देशना इंदौर डेफ बाइलिंगुअल एकेडमी में बीए ऑनर्स की स्टूडेंट हैं. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो एक मॉडल बन जाएंगी. जब वो हायर एजुकेशन के लिए इंदौर आईं, तो लोगों ने उनसे कहा कि उन्हें मॉडलिंग करनी चाहिए.
मैं सिर्फ पढ़ाई और डांस में रूचि रखती थी. इंदौर में आकर मुझे सब लोगों ने कहा कि तुम बहुत खूबसूरत हो. मेरे दोस्तों ने कहा कि तुम मॉडलिंग के लिए परफेक्ट हो. मेरी मैडम हैं- मोनिका मैडम, उन्होंने मुझे एक मॉडलिंग कॉन्टेस्ट के बारे में बताया जहां मैं सुन सकने वाले लोगों के साथ भाग ले सकती थी. मैंने हिस्सा लिया. उस कॅान्टेस्ट का नाम था- मिस अंतरिक्ष और उसकी विजेता थी.
देशना जैन
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देशना ना सुन पाने वाले लोगों के लिए एक मिसाल बनना चाहती हैं.
देशना लड़कियों की शिक्षा के लिए मजबूती से अपना पक्ष रखती हैं, खासतौर पर ऐसी लड़कियां जो सुन नहीं सकतीं या जो दिव्यांग हैं. उन्हें लगता है कि उनके जैसे लोगों के लिए शिक्षा सशक्तिकरण के लिए बहुत जरूरी है.
मैंने अक्सर गौर किया है कि जो लड़कियां सुन नहीं पातीं वो 8वीं, 10वीं या 12वीं तक ही पढ़ पाती हैं. फिर उनकी शादी हो जाती है. मैं इसके सख्त खिलाफ हूं. मैं चाहती हूं कि वो अपनी पढ़ाई पूरी करें, नौकरी करें, खुद के लिए कमाएं, फिर शादीशुदा जिंदगी अपनाना चाहें तो अपनाएं. कई डेफ लड़कियों को जानती हूं जो शादी के बाद घर में गालियों और मारपीट की शिकार होती हैं. वो ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होतीं, ज्यादा मजबूत नहीं होतीं ताकि खुद को बचा सकें. मैं पढ़ी-लिखी हूं. मैं मजबूत हूं. मैं दुनिया जीत सकती हूं. मैं उनके लिए मिसाल बनना चाहती हूं. मुझे दुख होता है जब मैं इन लड़कियों को पढ़ाई पूरी करते नहीं देख पाती और इनकी शादी हो जाती है. मैं नहीं बयां कर सकती कि इन लड़कियों के लिए अच्छी शिक्षा कितनी जरूरी है. उनकी जिंदगी अच्छी शिक्षा से बच सकती है.