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नीति आयोग ने बजट की हेल्थ स्कीम को 'गेमचेंजर' बताते हुए इसे लागू करने से जुड़ी तमाम आशंकाओं को खारिज कर दिया है. आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कहना है कि बजट के 1 फीसदी अतिरिक्त सेस से इसके लिए पैसे का इंतजाम हो जाएगा.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (NHPS) की घोषणा की है. इसके तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है.
राजीव कुमार ने कहा कि ये योजना पासा पलटने वाली होगी. उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के खिलाफ आधारहीन और झूठा दुष्प्रचार किया जा रहा है.
इस खास योजना के बारे में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आबंटन को बढ़ाकर 6,000 करोड़ रुपये किया गया है. इसके अलावा 2,000 करोड़ रुपये की मौजूदा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) चल रही है. सरकार ने हेल्थ एजुकेशन प्रोजेक्ट में निवेश की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक वैकल्पिक सिस्टम लाकर स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए अतिरिक्त पैसे की गुंजाइश बना दी है. इसके अलावा, बजट में 1 फीसदी अतिरिक्त एजुकेशन, हेल्थ सेस के प्रस्ताव से सालाना 11,000 करोड़ रुपये मिलेंगे. राजीव कुमार ने कहा कि इन सभी को मिलाकर कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए पर्याप्त पैसे आ जाएंगे.
राजीव कुमार के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारों को केवल बीमा प्रीमियम का बोझ उठाना होगा, जो थोड़ा होगा. उन्होंने कहा:
बता दें कि कई एक्सपर्ट ने इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए फंडिंग को लेकर सरकार की क्षमता और इंफ्रास्ट्रक्चर पर सवाल उठाए हैं. बुनियादी ढांचे के बारे में कुमार ने कहा कि योजना प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहित करेगी और वे बेहतर तरीके से खुद को तैयार करेंगे.
पूर्व वित्तमंत्री और सीनियर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने हेल्थ प्लान को ‘जुमला' करार दिया. उन्होंने कहा कि इसके लिए बजट में पैसे का कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
(इनपुट भाषा से)
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