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जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की हिरासत को और तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत सरकार लगातार मुफ्ती की हिरासत को बढ़ा रही है. पिछली बार मई के महीने में उनकी पीएसए के तहत हिरासत तीन महीने के लिए बढ़ाई गई थी. मुफ्ती की हिरासत को लेकर लगातार सरकार पर सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि कश्मीर में लगभग सभी बड़े नेताओं की हिरासत खत्म हो चुकी है, लेकिन महबूबा मुफ्ती को आजादी नहीं दी जा रही है.
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद वहां बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई थीं. यहां के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को हिरासत में ले लिया गया था. कई महीनों के बाद उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को खत्म किया गया. इन सभी नेताओं को लंबे समय तक के लिए हिरासत में रखने के लिए पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया था.
बता दें कि ये वही महबूबा मुफ्ती हैं, जिनके साथ बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में गठबंधन की सरकार बनाई थी. लेकिन आज उसी बीजेपी के शासनकाल में महबूबा की हिरासत को लगातार कई महीनों के लिए बढ़ाया जा रहा है. कश्मीरी नेता ये सवाल उठा रहे हैं कि जब बाकी बड़े नेताओं की हिरासत खत्म कर दी गई है तो केंद्र सरकार महबूबा मुफ्ती को क्यों आजाद नहीं करना चाहती है?
हाल ही में पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नेता और कश्मीर के बड़े नेताओं में से एक सज्जाद लोन को सरकार ने रिहा किया है. वो भी पिछले साल 5 अगस्त से हिरासत में थे. उनसे पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व आईएएस अफसर शाह फैसल समेत पीडीपी नेताओं पीर मंसूर और सरताज मदनी से पीएसए हटाकर उनकी रिहाई का रास्ता साफ किया था. इसके बाद से ही लगातार महबूबा मुफ्ती पर लगाया गया पीएसए हटाने की मांग चल रही है.
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