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हॉलीवुड से शुरू हुए 'MeToo मूवमेंट' की आंधी में फंसे केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, वो सभी आरोपों को अब भी नकार रहे हैं और कानूनी लड़ाई की बात कर रहे हैं. 20 महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोपों को वो गलत बता रहे हैं. सबूत मांग रहे हैं. अकबर 3 दशक से भी ज्यादा समय के लिए अलग-अलग मीडिया हाउस में बतौर संपादक अपनी सेवाएं दे चुके हैं. अब MeToo कैंपेन में कई महिला पत्रकार सामने आईं जिनका आरोप है कि उन्होंने संपादक रहते हुए ही अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और यौन दुर्व्यवहार किया.
अकबर पर पद से इस्तीफे का दबाव है. साल 2014 में वो बीजेपी में शामिल हुए थे, 2016 में मोदी सरकार में मंत्री बनाए गए थे.
ये 2007 की घटना बताई जा रही है.
इस वक्त तक अकबर राजनीति में उतरने के बाद से दोबारा पत्रकारिता में आ चुके थे. एम जे अकबर ने 1989 में बिहार के किशनगंज से लोकसभा चुनाव जीता था. 1991 में सीट गंवा बैठे. इसके महज 2 साल बाद यानी 1993 में एक बार फिर वो पत्रकारिता में लौट गए. राजनीति में उनकी दोबारा एंट्री मार्च 2014 में बीजेपी से हुई. वो पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए. जुलाई 2015 में उन्होंने झारखंड से राज्यसभा में एंट्री की और 2016 में मध्य प्रदेश में दूसरे टर्म के लिए भी चुने गए. 6 जुलाई 2016 को उन्हें विदेश राज्य मंत्री बनाया गया.
फिलहाल, लगातार लगते यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद उन पर इस्तीफे का भारी दबाव है. सोशल मीडिया से लेकर परंपरागत मीडिया तक में उनकी जमकर आलोचना हो रही है.
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Published: 14 Oct 2018,07:54 PM IST