Home News India अकबर: MeToo की आंधी में मंत्री की कुर्सी गंवा बैठे ‘संपादक’
अकबर: MeToo की आंधी में मंत्री की कुर्सी गंवा बैठे ‘संपादक’
अकबर 3 दशक से भी ज्यादा समय के लिए कई मीडिया हाउस में बतौर संपादक अपनी सेवाएं दे चुके हैं, आरोप भी इसी दौरान के हैं
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एमजे अकबर, राज्यसभा में बोलते हुए
(फोटो : द क्विंट)
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हॉलीवुड से शुरू हुए 'MeToo मूवमेंट' की आंधी में फंसे केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, वो सभी आरोपों को अब भी नकार रहे हैं और कानूनी लड़ाई की बात कर रहे हैं. 20 महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोपों को वो गलत बता रहे हैं. सबूत मांग रहे हैं. अकबर 3 दशक से भी ज्यादा समय के लिए अलग-अलग मीडिया हाउस में बतौर संपादक अपनी सेवाएं दे चुके हैं. अब MeToo कैंपेन में कई महिला पत्रकार सामने आईं जिनका आरोप है कि उन्होंने संपादक रहते हुए ही अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और यौन दुर्व्यवहार किया.
अकबर पर पद से इस्तीफे का दबाव है. साल 2014 में वो बीजेपी में शामिल हुए थे, 2016 में मोदी सरकार में मंत्री बनाए गए थे.
पत्रकारिता करियर काफी लंबा रहा है
11 जनवरी 1951 में पश्चिम बंगाल में पैदा हुए एम जे अकबर प्रेसिडेंसी कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद ही पत्रकारिता से जुड़ गए
साल 1976 में उन्होंने बतौर संपादक देश की पहली वीकली पॉलिटिकल मैग्जीन सनडे लॉन्च की
साल 1982 में द टेलीग्राफ और 1994 में द एशियन एज के लॉन्च का श्रेय भी एम जे अकबर को ही जाता है.
अकबर ने इंडिया टुडे के एडिटोरियल डायरेक्टर और डेक्कन क्रॉनिकल, द सनडे गार्जियन के संपादक के तौर पर भी काम किया.
इस बीच उन्होंने मेकिंग ऑफ इंडिया, अ कोहेसिव हिस्ट्री ऑफ जिहाद, टिंडरबॉक्स: द पास्ट एंड फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान जैसी पॉपुलर किताबें और नॉवेल लिखीं.
अकबर पर जो आरोप लगे हैं वो इसी लंबे जर्नलिस्म करियर के दौरान के ही बताए जा रहे हैं. ‘संपादक’ अकबर पर एक 18 साल की इंटर्न ने भी आरोप लगाए हैं. आरोप लगाने वाली युवती का कहना है कि ये वाकया तब का है जब वो The Asian Age अखबार में इंटर्न थी. HuffPost में छपा युवती का बयान कुछ ऐसा है...
एक दिन अचानक वो उठे और जहां मैं बैठी थी वहां आए, तो मैं भी उठी और उनकी तरफ मैंने हाथ बढ़ाया. उन्होंने मेरे सीधे कंधे के नीचे से, मेरे हाथों को पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया. उन्होंने मेरे मुंह पर किस किया और जबरदस्ती अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसाने लगे. मैं सिर्फ खड़ी रही.
ये 2007 की घटना बताई जा रही है.
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अकबर का राजनीतिक करियर
इस वक्त तक अकबर राजनीति में उतरने के बाद से दोबारा पत्रकारिता में आ चुके थे. एम जे अकबर ने 1989 में बिहार के किशनगंज से लोकसभा चुनाव जीता था. 1991 में सीट गंवा बैठे. इसके महज 2 साल बाद यानी 1993 में एक बार फिर वो पत्रकारिता में लौट गए. राजनीति में उनकी दोबारा एंट्री मार्च 2014 में बीजेपी से हुई. वो पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए. जुलाई 2015 में उन्होंने झारखंड से राज्यसभा में एंट्री की और 2016 में मध्य प्रदेश में दूसरे टर्म के लिए भी चुने गए. 6 जुलाई 2016 को उन्हें विदेश राज्य मंत्री बनाया गया.
फिलहाल, लगातार लगते यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद उन पर इस्तीफे का भारी दबाव है. सोशल मीडिया से लेकर परंपरागत मीडिया तक में उनकी जमकर आलोचना हो रही है.