ILP के तहत आया मणिपुर, जानिए मायने और CAB कनेक्शन

गृह मंत्रालय ने मणिपुर समेत पूर्वोत्तर के कुछ भागों में इनर लाइन परमिट (ILP) को बढ़ाया है. 

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भारत
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह
(फोटो: AP/Altered by Quint Hindi)

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नागरिकता संशोधन बिल (CAB) को लेकर पूर्वोत्तर समेत देश के कई हिस्सों से विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं. खास तौर पर पूर्वोत्तर के असम में बड़े पैमाने पर लोग बिल का विरोध कर रहे हैं. उधर, पूर्वोत्तर में CAB को लेकर जारी विरोध के बीच केंद्र सरकार ने मणिपुर को अब इनर लाइन परमिट (ILP) में शामिल किया है. मणिपुर के आईएलपी में आने से ये राज्य CAB के तहत नहीं आएगा. यानी पड़ोसी देश से आने वाले शरणार्थियों को नागरिकता बिल के तहत यहां बसने की इजाजत नहीं होगी.

इनर लाइन परमिट सिस्टम में मणिपुर को शामिल कर एक बड़ा मुद्दा सुलझा लिया जाएगा. यह काफी लंबे समय से मांग की जा रही थी. इस मांग को पूरा करने के लिए मणिपुर के लोगों की ओर से मैं पीएम मोदी का धन्यवाद करता हूं.
अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री 

क्या है इनर लाइन परमिट?

इनर लाइन परमिट काफी पुराना सिस्टम है. यह एक ट्रेवल दस्तावेज है, जिसे केंद्र सरकार अपने नागरिकों को प्रदान करती है. जिससे संरक्षित क्षेत्र में निर्धारित अवधि तक यात्रा कर सकते है. अंग्रेजी हुकूमत के समय ही यह प्रावधान किया गया था. यह स्थानीय जातीय समूहों के लिए संरक्षण प्रदान करता था. इसके लिए बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 में प्रावधान किया गया था.

बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 को आजादी के बाद भी सरकार ने कायम रखा था. इसे इनर लाइन परमिट का नाम दिया गया. इसमें केवल तीन राज्य असम, त्रिपुरा और मेघालय को शामिल किया गया था. इस सिस्टम के तहत राज्य के संरक्षित क्षेत्रों में यात्रा करने के लिए निर्धारित अवधि का परमिट दिया जाता है. हालांकि, पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को इसमें शामिल करने की मांग उठती रही है.

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मणिपुर में पारित किया गया था बिल

मणिपुर में साल 2018 में एक विधेयक पारित किया गया था, जिसके तहत गैर-मणिपुरी और बाहरी लोगों को राज्य में यात्रा करने के लिए कड़े नियमों की बात की गई थी. लेकिन राज्य में रह रहे गैर मणिपुरी लोगों की पहचान को लेकर इस पर सहमति नहीं बनी.

मणिपुर में अब क्या होगा

इनर लाइन परमिट में शामिल होने से मणिपुर के विशेष जातियों को संरक्षण मिलेगा. अब बिना परमिट के बाहरी लोग यात्रा नहीं कर पाएंगे और संरक्षित क्षेत्र में राज्य से बाहर के लोग निर्धारित समय से ज्यादा नहीं रूक पाएंगे.

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