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पंजाब के सीमावर्ती गांवों में लोगों से कथित तौर पर बंधुआ मजदूरी कराए जाने को लेकर केंद्र की ओर से राज्य सरकार को लेटर लिखे जाने के बाद आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है. शिरोमणि अकाली दल और किसान नेता जगमोहन सिंह ने इस लेटर को राज्य के किसानों को बदनाम करने की कोशिश करार दिया है. वहीं पंजाब बीजेपी ने कहा है कि इस मामले पर राजनीति करना सही नहीं है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब के मुख्य सचिव को लिखे लेटर में कहा कि इन लोगों में से ज्यादातर ने सीमावर्ती गांवों में किसानों के साथ काम किया और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने पाया कि उन्हें अच्छे वेतन के वादे के साथ राज्य लाया गया था, लेकिन उनका शोषण हुआ, उन्हें नशीली दवाएं दी गईं और अमानवीय परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया गया.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, बीजेपी की पूर्व सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के नेता और पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय का लेटर "अपने आप में ही विरोधाभासी" है. उन्होंने कहा कि लेटर में दावा किया गया है कि बीएसएफ ने जिन 58 लोगों को पकड़ा, वे मानसिक रूप से कमजोर लग रहे थे.
अकाली दल नेता ने कहा कि इसके साथ ही, यह दावा किया जा रहा है कि "मानव तस्करी करने वाले गिरोह" ऐसे लोगों को अच्छी तनख्वाह का लालच देकर गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर के इलाकों में ले जा रहे हैं. उन्होंने सवाल कि दोनों बातें एक साथ कैसे हो सकती हैं?
पूर्व सांसद ने कहा कि रिपोर्ट को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और कुछ मानसिक रूप से निशक्त लोगों के सीमावर्ती क्षेत्रों में पाए जाने के असली कारण का पता लगाया जाना चाहिए.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने इस लेटर पर तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं. बीकेयू डकौंडा के जनरल सेक्रेटरी जगमोहन सिंह ने आरोप लगाया है कि केंद्र किसानों की छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है. वहीं बीजेपी नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा है कि यह लेटर पूरी तरह प्रशासनिक मामले संबंधित है और इस पर राजनीति करना सही नहीं है.
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