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कोरोना वायरस एक ऐसी महामारी के रूप में दुनिया के सामने आया है, जिसने सब कुछ तबाह करके रख दिया. कई हफ्तों से दुनिया के कई देश लॉकडाउन में हैं. ठीक इसी तरह भारत में भी दूसरी बार लॉकडाउन का ऐलान हुआ, लेकिन इससे सबसे बड़ा झटका उन्हें लगा, जो इस आस में थे कि लॉकडाउन खत्म होते ही अपने घर तक पहुंच जाएंगे. ऐसे ही कुछ प्रवासी मजदूर पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में यमुना किनारे इकट्ठा थे. जिसने दिल्ली सरकार और प्रशासन के हाथ पैर फुला दिए थे.
मुंबई के बांद्रा के बाद अब दिल्ली में अचानक मजदूरों का एक साथ ऐसे जमा होकर रहना कई सवाल खड़े करता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक मजदूरों की लगभग वही मांगें हैं, जो मंगलवार को बांद्रा पहुंचे प्रवासी मजदूरों की थीं.
केजरीवाल के ट्वीट से ये साफ होता है कि जो मजदूर यमुना घाट पर जमा हुए थे उन्हें उनकी पेट की भूख वहां तक खींच लाई थी. वहीं इनके पास रहने के लिए कोई छत भी नहीं थी. लेकिन मामला सामने आने के बाद केजरीवाल ने ट्विटर पर लिखा,
बता दें कि दिल्ली सरकार लगातार दावा करती आई है कि यहां ऐसे लोगों के लिए पूरी व्यवस्था की गई है, जिन्हें खाने-पीने और रहने में तकलीफ हो रही है. यानी दिहाड़ी मजदूरों के लिए दिल्ली सरकार लगातार काम कर रही है. लेकिन यमुना घाट पर दिखी ये तस्वीर केजरीवाल सरकार के दावों की पोल खोलती दिख रही है.
ठीक ऐसा ही पहले लॉकडाउन के ऐलान के बाद भी हुआ था. जब दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर जमा हो गए.
इससे पहले महाराष्ट्र में मंगलवार को हजारों प्रवासी मजदूर बांद्रा स्टेशन पर इकट्ठा हुए थे. जिसके बाद पुलिस को उन्हें हटाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. इस मामले के ठीक बाद जमकर राजनीति भी शुरू हुई. एक दूसरे पर घटना के लिए आरोप लगाए गए. इसे लेकर दो लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. वहीं अब भी पता लगाने की कोशिश हो रही है कि किन कारणों के चलते प्रवासी मजदूर अचानक बांद्रा स्टेशन पहुंच गए.
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