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कोरोना महामारी (Pandemic) के दौरान मानसिक शांति यानी मेंटल पीस को हासिल करना सबसे चुनौतीपूर्ण हो गया है. आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी की वजह से लाइफस्टाइल पर गहरा असर पड़ा है. मानसिक शांति के लिए अक्सर एक तरीके के बारे में बात होती है, वो है- माइंडफुलनेस. तो क्या है माइंडफुलनेस, क्या-क्या शामिल कर माइंडफुलनेस को प्रेक्टिस किया जा सकता है. क्विंट हिंदी ने डिंपल मेहता से बातचीत की है जो एक माइंडफुलनेस कोच हैं और Routes2Roots नाम के एक एनजीओ के साथ जुडी हैं. इसके अंतर्गत माइंडफुलनेस विरसा प्रोग्राम है जिसमें स्कूली बच्चों को माइंडफुलनेस के जरिये हिंदुस्तान की संस्कृति से जोड़ने की मुहिम चलाई जा रही है.
माइंडफुलनेस एक्जेक्टली क्या है, इसमें क्या किया जाता है?
माइंडफुलनेस का आसान शब्दों में अर्थ है कि आप वर्तमान क्षण (Present Moment) में हैं. केवल शारीरिक रूप से नहीं बल्कि मानसिक रूप से, सारी इंद्रियों के साथ आप वर्तमान में उपस्थित होने को माइंडफुल होना कहते हैं. माइंडफुलनेस में करते ये हैं कि आपको अपनी सांस लेने की क्रिया पर ध्यान लगाना होता है और उसके जरिए आप शरीर के हर अंग से जुड़ते हैं और फिर बाहरी दुनिया से.
जो माइंडफुल नहीं होते उसके क्या उदाहरण हैं?
कई बार होता है कि कक्षा में बच्चे अपने टीजर की सारी बातें सुनते हैं लेकिन अचनाक जब उनसे पूछ लिया जाए कि क्या पढ़ाया जा रहा था तो वहां पर शारीरिक रूप से मौजूद होने के बावजूद उनका ध्यान कहीं और होता है, ध्यान वर्तमान में होता ही नहीं है. कई लोग ऑफिस में बैठे-बैठे पुरानी चीजों को याद करते हैं किसी झगड़े के बारे में या किसी से हुई बहस के बारे में जिसकी वजह से उनका काम बिगड़ता है, इसलिए माइंडफुल होना जरूरी है.
आज की लाइफस्टाइल में ऐसी क्या परेशानी आ रही है जिसे माइंडफुलनेस सुलझा सकता है?
ये सवाल कई लोग पूछते हैं. दरअसल हम सभी पैदा ही माइंडफुल होते हैं. एक छोटे बच्चे को देखिए वो जब भी किसी काम में होता है बाकी दुनिया को भूल जाता है, अगर वो कोई पेंटिंग चलती कार में भी कर रहा है तो केवल उसका ध्यान पेंटिंग में ही होता है. लेकिन आज का कल्चर (कॉर्पोरेट या मल्टीटास्किंग) माइंडफुल होने से दूर ले जा रहा है. काम के साथ लोग खाना खाते हैं, एक समय पर दो-तीन काम करते हैं, और ये समस्या पैदा करता है.
माइंडफुलनेस किस तरह से हमारे स्वास्थ्य में मदद करता है?
माइंडफुलनेस फोकस करने में मदद करता है, और फोकस रहने से बहुत फायदे मिलते हैं. ये आपको स्ट्रेस फ्री रखने में मदद करता है, शांति देता है, चिढ़ या गुस्से को कम करता है. आपको जजमेंटल होने से भी बचाता है ताकि आपको शांति मिले.
माइंडफुलनेस और मेडिटेशन में क्या अंतर है या ये एक सी बात है?
मेडिटेशन और माइंडफुलनेस से मिलने वाले कई फायदे एक जैसे हैं लेकिन माइंडफुलनेस पूरी तरह से मेडिटेशन करना नहीं है. देखिए मेडिटेशन आप हर वक्त नहीं कर सकते लेकिन माइंडफुलनेस ऐसी क्रिया है जो कभी भी और कहीं भी की जा सकती है. खाना खाते वक्त, गाड़ी चलाते वक्त, यानी आप किसी भी वातावरण में माइंडफुलनेस को प्रेक्टिस कर सकते हैं. कुल मिलाकर आपके सब-कॉन्शियस माइंड को कॉन्शियस में लेकर आने का काम माइंडफुलनेस करता है.
माइंडफुलनेस में क्या क्या चीजों को शामिल किया जाता है और इसे किस तरह से करें?
दिन की शुरुआत में या रात को सोने से पहले पांच मिनट आप माइंडफुलनेस कर सकते हैं. आप चाहें तो किसी परीक्षा से पहले इसे कर सकते हैं ताकि आपका ध्यान केंद्रित हो सके. जहां भी आपको लगे कि मीटिंग में जाने से पहले कि वहां जाकर घबराहट हो सकती है तो 5 से 10 मिनट माइंडफुलनेस प्रेक्टिस कर लें.
सबसे पहले आप सांस लेने और छोड़ने की क्रिया से करें. सांस लेने पर ध्यान दें ताकि आप उसे नियंत्रित कर सकें और अगर आप सांस अच्छे से ले रहे हैं मतलब आपके दिमाग को ऑक्सीजन ठीक से मिल पा रहा है और आप अपना काम बेहतर ढंग से और आसानी से कर पाएंगे. जब आप शुरू करें तो ठीक से बैठें आपका शरीर शांत होना चाहिए.
माइंडफुलनेस को प्रेक्टिस करने के बाद आप जो भी काम करेंगे आप फोकस रहेंगे और आपको शांति मिलेगी.
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