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कई महिलाओं की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने अब अपने बचाव में कानूनी रास्ता अख्तियार किया है. उन्होंने आरोप लगाने वाली एक पत्रकार प्रिया रमानी पर मानहानि का मुकदमा दायर किया है.
अकबर की ओर से दायर याचिका पर अब दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में 18 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
एमजे अकबर ने अपने बचाव के लिए 97 वकील तैनात किए हैं. अकबर ने सोमवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अपने वकीलों- करंजावाला एंड कंपनी के जरिए यह केस किया है. करंजावाला एंड कंपनी के मुताबिक इस केस में 97 में से सिर्फ 6 ही कोर्ट जाएंगे.
अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ IPC की धारा 499 और 500 के तहत आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया है.
एमजे अकबर ने रविवार को कहा था कि उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप झूठे और निराधार हैं और वह इसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे. उन्होंने अपने बयान में कहा था:
उन्होंने आरोपों को 'एजेंडे का हिस्सा' बताते हुए सवाल किया कि कुछ महिला पत्रकार, जिनके साथ उन्होंने काम किया था, वे आम चुनाव से पहले आरोप क्यों लगा रही हैं?
विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर रविवार को नाइजीरिया से भारत लौटे हैं. भारत लौटने के बाद उन्होंने खुद पर लगे आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत करार दिया. साथ ही प्रिया रमानी पर मानहानि का केस भी किया. आपराधिक मानहानि का नोटिस के बाद प्रिया रमानी ने कहा, “वह एमजे अकबर के भेजे गए नोटिस का सामना करने के लिए तैयार हैं और उनके पास इससे लड़ने का पूर्ण सत्य ही अकेला हथियार है.”
अपने बयान में रमानी ने कहा,
बता दें कि एमजे अकबर पर करीब 10 से ज्यादा महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं.
कई बड़े मीडिया संस्थानों के साथ काम कर चुकीं पत्रकार प्रिया रमानी ने #MeToo कैंपेन के तहत एमजे अकबर पर सबसे पहले यौन शौषण का आरोप लगाया था. उन्होंने हार्वे विन्सिटन्स ऑफ द वर्ल्ड नाम से लिखे एक पोस्ट में कहा था कि अकबर अश्लील फोन कॉल, टेक्स्ट और असहज करने वाले कॉम्प्लीमेंट देने में माहिर हैं. पहले आर्टिकल में रमानी ने अकबर का नाम नहीं लिया था, लेकिन 8 अक्टूबर को ट्वीट करके उन्होंने सीधे एमजे अकबर का नाम लेकर आरोप लगाया था.
इन आरोपों के बाद केंद्र सरकार चौतरफा आलोचना झेल रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को कहा था कि वह विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि केंद्रीय मंत्री के खिलाफ लगे आरोपों की जांच की जरूरत है.
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