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कार्यकर्ता ने की खुदकुशी, MNS ने कहा- राज ठाकरे को ED नोटिस वजह

प्रवीण राज ठाकरे का कट्टर समर्थक बताया जाता है.

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प्रवीण राज ठाकरे का कट्टर समर्थक बताया जाता है.
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प्रवीण राज ठाकरे का कट्टर समर्थक बताया जाता है.
(फोटो: Altered by Quint)

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राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के एक कार्यकर्ता ने मुंबई से सटे ठाणे में आत्महत्या कर ली है. आत्महत्या की वजह चौकाने वाली है. राज ठाकरे के खिलाफ ईडी ने नोटिस भेजा था और उन्हें एक कथित घोटाले के मामले में पूछताछ के लिए पेश होने को कहा था. एमएनएस का दावा है कि अपने नेता को मिले इस तरह के नोटिस से प्रवीण चौगुले काफी नाराज थे. जिस वजह से उन्होंने आग लगाकर आत्महत्या कर ली.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रवीण ने आत्महत्या से पहले अपने दोस्तों से कहा था क‍ि मीड‍िया में राज ठाकरे को लेकर जो खबरें आ रही हैं, वो सही नहीं हैं. इन सबसे वो परेशान है. प्रवीण राज ठाकरे का कट्टर समर्थक बताया जाता है. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.

MNS ने बीजेपी पर साधा निशाना

इस मामले पर MNS सचिव संदीप देशपांडे ने एक ट्वीट कर कहा है कि - ये स्थिति बीजेपी के कारण आई है. उन्होंने MNS कार्यकर्ताओं से संयम बरतने को कहा है.

क्या है राज ठाकरे को ईडी का समन मामला?

बता दें कि एमएनसी चीफ राज ठाकरे और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम मनोहर जोशी के बेटे उन्मेष जोशी को ईडी ने कोहिनूर स्केवयर टावर की जमीन खरीद मामले में नोटिस भेजा है. दरअसल, ठाकरे और जोशी ने मुंबई के दादर स्थित कोहिनूर स्केवयर टावर की जमीन मिल कर खरीदी थी. ईडी इस सौदे में IL&FS के शामिल होने की जांच कर रहा है. इस सिलसिले में राज ठाकरे और उन्मेष को समन जारी किया गया है. राज ठाकरे को 22 अगस्त को ईडी ने बुलाया है.

कोहिनूर मिल्स को खरीदने के लिए शिवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी के बेटे उन्मेष जोशी, एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे और उनके करीबी राजन शिरोडकर ने मिलकर साल 2003 में सौदा किया था, जिसमें IL&FS ने 225 करोड़ का निवेश किया था. कुल मिलाकर कोहिनूर मिल की वो जमीन 421 करोड़ में खरीदी गई. साल 2008 में IL&FS ने बड़ा नुकसान उठाते हुए कंपनी में अपने शेयर्स को महज 90 करोड़ रुपये में सरेंडर कर दिया. उसी साल राज ठाकरे ने भी अपने शेयर बेच दिए थे और कंपनी से बाहर निकल गए थे.

अपना शेयर सरेंडर करने के बाद भी IL&FS ने कोहिनूर सीटीएनएल को एडवांस लोन दिया, जिसे कथित तौर पर कोहिनूर सीटीएनएल चुका नहीं पाई.

साल 2011 में कोहिनूर सीटीएनएल कंपनी ने अपनी कुछ संपत्तियां बेचकर 500 करोड़ रुपये का लोन चुकाने के समझौते पर साइन किया. इस समझौते के बाद भी IL&FS ग्रुप ने कोहिनूर सीटीएनएल को 135 करोड़ रुपये का और लोन दे दिया. अब ED इसी मामले की जांच कर रही है.

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