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मॉडर्ना ने सोमवार 16 नवंबर को ऐलान किया है कि उसकी कैंडिडेट वैक्सीन COVID-19 के खिलाफ 94.5 प्रतिशत प्रभावी देखी गई है. मॉडर्ना के सीईओ स्टीफेन बैंसल ने कहा, "फेज 3 स्टडी के इस पॉजिटिव अंतरिम एनालिसिस ने पहला क्लीनिकल वैलिडेशन दिया है कि हमारी वैक्सीन COVID-19, जिसमें गंभीर बीमारी भी शामिल है, से बचा सकती है."
ये शुरुआती नतीजे 30 हजार से अधिक पार्टिसिपेंट्स वाले क्लीनिकल ट्रायल के हैं. फेज 3 ट्रायल का ये पहला अंतरिम एनालिसिस कोरोना के 95 कन्फर्म मामलों पर आधारित है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक विप्रो के संस्थापक-अध्यक्ष अजीम प्रेमजी भी मॉडर्ना के निवेशक हैं. लेकिन क्या इन नतीजों का भारत के लिए कोई मतलब है? क्या हम निकट भविष्य में वैक्सीन की उम्मीद कर सकते हैं?
पिछले 10 दिनों में दूसरी बार अमेरिका में कोविड-19 वैक्सीन पर गेमचेंजर घोषणा हुई है. अमेरिकी फार्मा कंपनी मॉडर्ना ने कोविड वैक्सीन के 94.5 प्रतिशत प्रभावी होने का दावा किया है. फाइजर ने इसके एक हफ्ते पहले 90 फीसदी तक प्रभावी वैक्सीन की घोषणा की थी.
Pfizer और मॉडर्ना दोनों की वैक्सीन mRNA तकनीक का इस्तेमाल कर रही है.
ये तकनीक अपेक्षाकृत नई है, इसमें वायरस के जेनेटिक मटैरियल, जिसे mRNA कहते हैं, इस्तेमाल किया जाता है. ये मटैरियल शरीर की कोशिकाओं को इम्युन सिस्टम को सक्रिय करने के लिए निर्देश देता है. अब तक mRNA आधारित कोई वैक्सीन मंजूर नहीं हुई है.
अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोमेडिसिन्स के डायरेक्टर और वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील Pfizer और mRNA पर फिट से बातचीत में बता चुके हैं,
दोनों वैक्सीन कैंडिडेट के लिए खास तापमान की जरूरत है. मॉडर्ना की वैक्सीन माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में छह महीने तक स्टेबल यानी सुरक्षित रह सकती है.
Pfizer की वैक्सीन के लिए माइनस 70 डिग्री सेल्सियस या इससे भी कम तापमान की आवश्यकता है, जो कि किसी वैक्सीन के लिए सबसे ठंडा तापमान है.
मॉडर्ना के मुताबिक उसकी वैक्सीन 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में 30 दिनों तक सुरक्षित रह सकती है. एक स्टैंडर्ड होम या मेडिकल रेफ्रिजेरेटर का यही तापमान होता है. इसके अलावा रेफ्रिजरेटर से वैक्सीन निकाल लेने के बाद यह 12 घंटे तक कमरे के तापमान पर सही हालात में रह सकती है.
डॉ जमील भारत में कोल्ड चेन की जरूरत पर बात करते हुए कह चुके हैं कि वैक्सीन का वितरण और कोल्ड चेन बहुत बड़ी चुनौती है.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में क्रिश्चियन मेडिकल स्कूल, वैल्लोर में प्रोफेसर डॉ गगनदीप कांग ने कहा,
वैक्सीन विशेषज्ञ डॉ गविंदर गिल ने भी कहा, “किसी विकासशील देश के लिए Pfizer और मॉडर्ना के वैक्सीन कैंडिडेट के बीच चुनने की बात आती है, तो मॉडर्ना की वैक्सीन कैंडिडेट बेहतर होगी. वहीं मैं ये भी कहूंगा कि उनमें से एक भी किसी विकासशील देश के लिए आदर्श नहीं है.”
डॉ कांग ने बताती हैं कि मॉडर्ना की वैक्सीन मध्यम और निम्न-आय वाले देशों के लिए ’सार्वजनिक स्वास्थ्य’ उत्पाद नहीं है, जिससे यह एक महंगा विकल्प बन जाता है. “समस्या लागत होगी क्योंकि मॉडर्ना ने कहा है कि उनकी वैक्सीन की कीमत $37 (2,750 रुपये से अधिक) होगी, जो बहुत है. अब यह स्पष्ट है कि यह निम्न और मध्यम-आय वाले देशों के लिए पब्लिक हेल्थ प्रोडक्ट नहीं है, जब तक कि इसकी कीमत वर्तमान मूल्य का दसवां [या उससे कम] न हो."
लागत के बाद पैमाना अहम है कि लोगों को इम्युनाइज करने के लिए किस पैमाने पर वैक्सीन की जरूरत होगी.
वहीं mRNA आधारित वैक्सीन के अमेरिका में और बाहर स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन और वितरण एक अहम मुद्दा बना हुआ है.
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