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शेख हसीना के लिए प्रोटोकॉल तोड़ खुद एयरपोर्ट पहुंचे पीएम मोदी

भारत बांग्लादेश को सैन्य आपूर्ति के लिए 50 करोड़ डॉलर के कर्ज देने की घोषणा करेगा.

कौशिकी कश्यप
भारत
Published:
पीएम नरेंद्र मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर एयरपोर्ट पहुंचे. (फोटो: Twitter)
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पीएम नरेंद्र मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर एयरपोर्ट पहुंचे. (फोटो: Twitter)
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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना शुक्रवार को भारत दौरे पर नई दिल्ली पहुंचीं. खास बात यह रही कि उनकी अगवानी करने खुद पीएम नरेंद्र मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर खुद एयरपोर्ट पहुंच गए.

शेख हसीना के स्वागत के लिए इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट जाने के दौरान पीएम मोदी ने आम नागरिक की तरह सामान्य ट्रैफिक का इस्तेमाल किया. उनके जाने के दौरान किसी भी रूट पर आम नागरिकों के आवाजाही पर रोक नहीं लगाई गई. वह एक गाड़ी में बिना काफिले के ही एयरपोर्ट पहुंचे.

पीएम मोदी के साथ गाड़ी में सिर्फ ड्राइवर और एसपीजी ऑफिसर ही मौजूद थे.

शेख हसीना चार दिवसीय दौरे पर हैं. एक पीएम के तौर पर शेख हसीना का मौजूदा कार्यकाल के दौरान भारत का ये पहला द्विपक्षीय दौरा है. उन्होंने 7 साल पहले भारत का दौरा किया था.

शेख हसीना के दौरे के दौरान..

  • शनिवार को नरेंद्र मोदी के अलावा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात करेंगी.
  • भारत बांग्लादेश को सैन्य आपूर्ति के लिए 50 करोड़ डॉलर का कर्ज देने की घोषणा करेगा.
  • भारत और बांग्लादेश के बीच असैन्य परमाणु सहयोग और रक्षा सहयोग समेत कम से कम 25 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद.
  • हसीना रविवार को अजमेर जाएंगी और सोमवार को भारतीय कारोबारी नेताओं से मुलाकात करेंगी.
  • मानेक शॉ सेंटर में आयोजित होने वाले भारतीय सेना के सम्मान समारोह में भी हिस्सा लेंगी. इसमें 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राह में शहीद हुए सैनिकों को सम्मानित किया जाएगा.
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अहम मकसद- तीस्ता नदी समझौता

हसीना के इस दौरे का सबसे अहम मकसद भारत को तीस्ता नदी के पानी पर लंबित समझौते के लिए तैयार करना है. लेकिन इसकी संभावना कम है, क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसका मजबूती से विरोध करती रही हैं.

1983 में तीस्ता के पानी पर बंटवारे पर एक समझौता हुआ था. इसके तहत बांग्लादेश को 36 फीसदी और भारत को 39 फीसदी पानी के इस्तेमाल का हक मिला. बाकी 25 फीसदी का आवंटन नहीं किया गया.

तीस्ता इसलिए अहम है कि बांग्लादेश का करीब 14 फीसदी इलाका सिंचाई के लिए इसी नदी के पानी पर निर्भर है. वहीं ममता बनर्जी इसके विरोध में हैं. उनका कहना है कि इसके पानी में कमी से बंगाल के छह जिलों में खेती सीधे तौर पर प्रभावित होगी.

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