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पशुबाजार में कत्ल के लिए नहीं होगी खरीद-फरोख्त, सरकार का नया नियम

पशुबाजार में जानवर खरीदने-बेचने वालों को निश्चित करना होगा कि जानवरों को कत्ल करने के मकसद से नहीं खरीदा जा रहा है. 

शादाब मोइज़ी
भारत
Published:


(फाइल फोटोः PTI)
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(फाइल फोटोः PTI)
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केंद्र सरकार ने पशु बाजार में बूचड़खानों के लिए जानवरों को खरीदने और बेचने पर रोक लगा दी है. केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को बताया कि पशुबाजार में जानवर खरीदने और बेचने वालों को ये सुनिश्चित करना होगा कि जानवरों को कत्ल करने के मकसद से नहीं खरीदा जा रहा है.

पर्यावरण मंत्रालय ने द प्रीवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स (रेगुलेशन ऑफ लाइवस्टॉक मार्केट्स) नियम 2017 को नोटिफाई किया है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि नए नियम बहुत साफ हैं और इसका उद्देश्य पशु बाजारों और गोवंशीय पशुओं की बिक्री को रेगुलेट करना है. साथ ही जानवरों के खिलाफ क्रूरता को रोकना है.

नोटिफिकेशन के मुताबिक पशु बाजार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख्स बाजार में कम उम्र के पशु को बिक्री के लिए न लेकर आये.

क्या है इस फैसले में?

  • किसी भी शख्स को पशु बाजार में जानवर को लाने की इजाजत नहीं होगी जबतक जानवर का मालिक लिखित तौर पर एक घोषणा पत्र ना दे दे और साथ ही जानवर के मालिक को अपने नाम, पते और फोटो पहचान-पत्र की एक कॉपी भी देनी होगी.
  • जानवर की पहचान के विवरण के साथ यह भी स्पष्ट करना होगा कि जानवर को बाजार में बिक्री के लिये लाने का उद्देश्य उसे बूचड़खाने या कत्ल के लिए नहीं है.
  • जानवर के सींग को रंगना, कान काटना, सजावट का सामान लगाना ऐसी चीजों पर अब से पाबंदी होगी लेकिन ये नियम सिर्फ पशु बाजार के जानवरों और संपत्ति के रूप में जब्त जानवरों पर लागू होंगे बाकी किसी और पर नहीं
  • इस नियम में बैल, गाय, सांड़, भैंस, बछिया, बछड़े और ऊंट जैसे जानवर शामिल हैं

फैसले का विरोध शुरू

इस बीच, केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने इस नोटिफिकेशन का विरोध किया है.

अगर आज उन्होंने पशु वध को बैन किया है तो वे कल मछली खाने पर भी रोक लगा देंगे. उन्होंने कहा कि यह देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को खराब करने की कोशिश है.
पिनारई विजयन, मुख्यमंत्री, केरल

आल इंडिया मीट एंड लाइवस्टाक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन को सरकार का यह फैसला रास नहीं आ रहा है. एसोसिएशन का दावा है कि इस कदम से उन किसानों पर असर पड़ेगा जो दूध ना देने वाले जानवर बिक्री के लिए लाते हैं.

एसोसिएशन के प्रवक्ता फौजान अलवी ने कहा कि एक भैंस पर हर दिन का खर्च लगभग डेढ़ सौ रुपये आता है जबकि दूध का मूल्य करीब 40 रुपये प्रति लीटर है. अगर रोजाना का दुग्ध उत्पादन घटता है तो धीरे धीरे पशु अनुत्पादक हो जाता है.

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