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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के तीन नामी अखबारों के सरकारी विज्ञापन बंद कर दिए हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के कारण द हिंदू, टाइम्स ऑफ इंडिया और एबीपी ग्रुप के द टेलीग्राफ जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के सरकारी विज्ञापन बंद कर दिए हैं.
बुधवार को चौधरी ने संसद में कहा कि मीडिया को दबाया जा रहा है और सरकार के खिलाफ बोलने पर अखबारों के विज्ञापन रोके जा रहे हैं.
26 मिलियन से ज्यादा मंथली रीडरशिप वाले तीन बड़े अखबारों का कहना है कि उन्हें मिलने वाले लाखों रुपये मूल्य के सरकारी विज्ञापन रोक दिए गए हैं. अखबारों का कहना है कि सरकारी विज्ञापनों पर ये रोक बीजेपी के बड़े बहुमत के साथ सरकार में आने के बाद लगाई गई है.
देश के सबसे बड़े अंग्रेजी अखबारों में शामिल टाइम्स ऑफ इंडिया (बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी) के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'सरकारी विज्ञापन बंद कर दिया गया है.' उन्होंने कहा कि हो सकता है, 'वे (सरकार) कुछ रिपोर्ट्स से नाखुश हों.'
अखबार के अधिकारी ने बताया कि टाइम्स ग्रुप को मिलने वाले विज्ञापन का लगभग 15 फीसदी विज्ञापन सरकार से आता है. इन विज्ञापनों में ज्यादातर विज्ञापन कॉन्ट्रेक्ट के लिए सरकारी टेंडर्स और सरकारी योजनाओं के प्रचार के होते हैं.
एबीपी ग्रुप का टेलीग्राफ अखबार मोदी सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर बेरोजगारी तक तमाम मुद्दों पर घेरता रहा है. पिछले लगभग छह महीनों में इस अखबार को मिलने वाले सरकारी विज्ञापनों में 15 फीसदी की गिरावट आई है.
एबीपी ग्रुप के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, "जब आप सरकार के खिलाफ कुछ भी लिखते हैं, तो जाहिर है कि वे आपको किसी न किसी तरह से नुकसान पहुंचाएंगे ही."
एबीपी के दूसरे अधिकारी ने कहा कि सरकार से अब तक इस मामले को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है. कंपनी घाटे के अंतर को कम करने के लिए अन्य स्रोतों को देख रही है. अधिकारी ने कहा, "प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखा जाना चाहिए और इन चीजों के बावजूद इसे बनाए रखा जाएगा."
केंद्र में सत्ताधारी एनडीए की अगुवा बीजेपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत में प्रेस पूरी तरह से स्वतंत्र है.
बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि अखबारों और टीवी चैनलों पर सत्ताधारी पार्टी की बेशुमार आलोचना की जाती है. उन्होंने कहा, ये अलोचनाएं ही अभिव्यक्ति की आजादी की गवाह हैं. उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद है कि बीजेपी प्रेस की आजादी को दबा रही है.
अंग्रजी अखबार द हिंदू को मिलने वाले सरकारी विज्ञापनों में भी कमी आई है. कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि फ्रांस के दसॉ से राफेल जेट की खरीद से जुड़ी रिपोर्ट्स प्रकाशित करने के बाद द हिंदू अखबार को मिलने वाले सरकारी विज्ञापनों में कमी देखी गई है. इन रिपोर्ट्स में सरकार को दोषी ठहराया गया था. हालांकि, सरकार ने द हिंदू की रिपोर्ट्स में लगाए गएआरोपों को खारिज कर दिया था.
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि सरकार इन तीनों अखबारों को झुकाने की कोशिश कर रही है.
(इनपुटः Reuters)
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