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राफेल पर जारी विवादों के बीच सरकार ने फ्रांस सरकार को सौदे की कीमत की 25 फीसदी रकम दे दी है. 59 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे में फ्रांस सरकार की 25 फीसदी रकम दे दे गई है. न्यूज एजेंसी एनआईए की रिपोर्ट ने एयर फोर्स के सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. भारत ने फ्रांस की दसॉ एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया है.
सूत्रों के मुताबिक विमानों वक्त पर डिलीवर हो जाएंगे. भारतीय वायुसेना को सितंबर 2019 में ये विमान मिल जाने की उम्मीद है. हालांकि भारतीय वायुसेना में शामिल होने से पहले इन्हें भारतीय पायलट उड़ा कर टेस्ट करेंगे.
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एएनआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सौदे की शर्तों के मुताबिक फ्रांस सरकार को सौदे की कुल रकम का 25 फीसदी अदा कर दी गई है. सूत्रों के मुताबिक चार विमानों की पहली खेप भारतीय वायुसेना को 2020 के मध्य में मिल जाएंगे. इनमें एडवांस एवियोनिक्स और सेंसर लगे रहते हैं. फ्रांस सरकार से 36 विमानों को खरीदने का सौदा 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार ने किया था.
दसॉ भारतीय वायुसेना की जरूरतों के हिसाब से 36 राफेल विमान तैयार कर रही है. जबकि कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने करोड़ों रुपये के इस सौदे में गड़बड़ियां की खास कर ऑफसेट पार्टनर के चुनाव में. हालांकि फ्रांस और भारत सरकार दोनों ने इस सौदे में किसी गड़बड़ी से इनकार किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे को क्लीन चिट दे दी है. कोर्ट ने वो याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें इस सौदे में गड़बड़ी की जांच की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त की गई थी कि उसकी निगरानी में इसकी सीबीआई जांच हो. भारतीय सेना ने राफेल फाइटर जेट का समर्थन किया है. उसका कहना है कि वायुसेना को राफेल की काफी जरूरत है.
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