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‘देश के 6 एयरपोर्ट अडानी को बेच दिए गए’- केंद्र पर विपक्ष का हमला

केरल सरकार के आरोपों के बाद विपक्षी नेताओं ने उठाए निजीकरण पर सवाल

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भारत
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केरल सरकार के आरोपों के बाद विपक्षी नेताओं ने उठाए निजीकरण पर सवाल
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केरल सरकार के आरोपों के बाद विपक्षी नेताओं ने उठाए निजीकरण पर सवाल
(फोटो: PTI)

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केंद्रीय कैबिनेट की तरफ से बताया गया कि देश के तीन एयरपोर्ट्स को प्राइवेट हाथों में देने को लेकर सरकार ने मंजूरी दे दी है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कैबिनेट ब्रीफिंग में बताया था कि एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के जयपुर एयरपोर्ट, गुवाहटी एयरपोर्ट और तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट को पीपीई मॉडल के तहत लीज पर दिया जाएगा. लेकिन अब केंद्र सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध शुरू हो चुका है. केरल के सीएम से लेकर तमाम नेताओं ने इसे लेकर सवाल खड़े किए हैं.

केरल सरकार ने लगाया वादा खिलाफी का आरोप

दरअसल मोदी सरकार ने अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को तीनों एयरपोर्ट 50 साल के लिए देने को मंजूरी दी है. ये कंपनी ही अब अगले 50 सालों तक इन तीनों एयरपोर्ट्स की देखरेख करेगी. इसे लेकर सबसे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि उनकी दिल्ली में पीएम के साथ जो बैठक हुई थी, ये फैसला उसमें हुई बातचीत के ठीक उल्टा है.

इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी को लेटर लिखा है. जिसमें कहा गया है कि केंद्र ने लगातार राज्य सरकार की बात को नजरअंदाज किया. केरल सरकार ने कहा है कि एयरपोर्ट के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी स्पेशल परपज वेहिकल (SPV) को दिया जाए, जिसमें राज्य सरकार प्रमुख स्टेक होल्डर है.

केरल सरकार में वित्तमंत्री थॉमस आइसैक ने कहा कि केंद्र सरकार ने तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट को अडानी को देकर प्राइवेटाइज करके केरल सरकार के दावे को खारिज किया. उन्होंने कहा कि यहां तक कि केरल सरकार ने अडानी वाले रेट को भी ऑफर किया था. पीएमओ ने केरल के प्रपोजल को स्वीकार करने की बात कही थी, जिसे अब तोड़ दिया गया है. केरल के लोग इस तरह से खुलेआम अपने करीबी का पक्ष लिए जाने को कभी स्वीकार नहीं करेंगे.

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अडानी ग्रुप को लेकर सवाल

केरल सरकार के अलावा कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी सरकार के इस फैसले को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने ट्विटर पर कहा,

“पहले अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरु एयरपोर्ट को बेचा गया. अब जयपुर, गुवाहटी और तिरुवनंतपुरम की बारी है. इन सभी 6 एयरपोर्ट्स को एक ही प्राइवेट कंपनी को बेचा गया. इस हिसाब से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया का असली मतलब “अडानी एयरपोर्ट ऑफ इंडिया” होता है.”

येचुरी बोले- साथियों को बड़ा फायदा पहुंचाने की कोशिश

सीपीआई (एम) के नेता सीताराम येचुरी ने भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार अपने दोस्तों का भला करने के लिए देश की संपत्ति को बर्बाद कर रही है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,

“एयरपोर्ट्स का निजीकरण देश की संपत्ति को लूटकर अपने साथियों को बड़ा फायदा पहुंचाने की एक कोशिश है. इसके बाद पार्टी फंड को बढ़ाने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाएंगे. केरल के सीएम की चिट्ठी से ये साफ होता है कि राज्य सरकार से वादा करने के बाद पीएम मोदी के विश्वासघात से ये हो रहा है.”

निजीकरण के समर्थन में थरूर

हालांकि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि प्राइवेट हाथों में जाने से एयरपोर्ट का कायाकल्प बदल जाएगा. थरूर मोदी सरकार के इस फैसले के समर्थन में नजर आए. उन्होंने ट्विटर पर लिखा,

"सच्चाई ये है कि अगर प्राइवेट कंपनी को एयरपोर्ट का कामकाज सौंपा जाएगा तो यही वो तरीका है जिससे एयरपोर्ट और भी ज्यादा खूबसूरत बन सकता है. चाहे जो भी हो, एयरपोर्ट की जमीन का मालिकाना हक, एटीसी की जिम्मेदारी, सिक्योरिटी, कस्टम एंड इमिग्रेशन सरकारी एजेंसियों के हाथों में है. तिरुवनंतपुरम के लोग शहर के इतिहास, स्थिति और संभावना के हिसाब से एक फर्स्ट क्लास एयरपोर्ट चाहते हैं. इस मामले में एक फैसला जरूर थोड़ा विवादित है, लेकिन हमने इसके लिए काफी ज्यादा इंतजार किया है."

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