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सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और सीनियर वकील प्रशांत भूषण से मिलने पर मोदी सरकार नाखुश बताई जा रही है. सरकार के एक सीनियर अफसर ने बताया कि सीबीआई डायरेक्टर का नेताओं से मिलना एक 'असामान्य' बात है.
बता दें, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने पिछले हफ्ते सीबीआई डायरेक्टर से मुलाकात की थी. इस दौरान इन दोनों नेताओं ने सीबीआई डायरेक्टर को दस्तावेज सौंपकर राफेल डील के साथ ऑफसेट करार में कथित भ्रष्टाचार की मांग की.
सरकार के इस बड़े अफसर के बयान से समझा जा सकता है कि सरकार को सीबीआई डायरेक्टर की नेताओं के साथ मुलाकात अच्छी नहीं लगी. सरकार से जुड़े अफसर ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि आमतौर पर जब कोई नेता सीबीआई डायरेक्टर से मुलाकात के लिए समय मांगता है तो उसे एजेंसी हेडक्वार्टर के रिसेप्शन पर शिकायतें या अन्य दस्तावेज सौंपने की सलाह दी जाती है.
अफसर ने कहा, 'कुछ सरकारी अफसर 'उपद्रवी' हो गए हैं. वे आपस में तीखी तकरार कर रहे हैं. अगर इस तरह की लड़ाई जारी रहती है तो संबंधित संगठनों को नुकसान होगा.' बता दें कि मौजूदा सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा का कार्यकाल जनवरी 2019 तक है. वह सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के साथ विवाद में उलझे हैं. दोनों पक्ष सार्वजनिक तौर पर एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं.
बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी मोदी सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं वहीं सीनियर वकील प्रशांत भूषण आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता हैं. बताया जा रहा है कि सीबीआई डायरेक्टर से अपनी मुलाकात के दौरान अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने उन्हें कुछ दस्तावेज सौंपे. इस दौरान दोनों नेताओं ने एजेंसी प्रमुख से कहा कि कानून के अनुसार जांच शुरू करने के लिए वह सरकार की अनुमति लें.
दोनों का आरोप है कि राफेल जेट के लिए ऑफसेट करार वास्तव में अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की कंपनी के लिए कमीशन था. राफेल बनाने वाली फ्रांसिसी कंपनी दसॉ एविएशन ने करार के ऑफसेट दायित्वों को पूरा करने के लिए रिलायंस डिफेंस को पार्टनर चुना है.
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