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शपथ ग्रहण में BIMSTEC नेताओं को बुला कर क्या हासिल करेंगे मोदी? 

बिम्सटेक देशों के नेताओं को शपथ ग्रहण में बुला कर क्या साबित करना चाहते हैं नरेंद्र मोदी 

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भारत
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2018 में काठमांडू में बैठक के बाद बिम्सटेक नेताओं के साथ नरेंद्र मोदी 
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2018 में काठमांडू में बैठक के बाद बिम्सटेक नेताओं के साथ नरेंद्र मोदी 
फोटो : रॉयटर्स

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2014 में नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के नेताओं को बुलाया था. इस बार वह बिम्सटेक ( BIMSTEC) देश के नेताओं को बुला रहे हैं. इसके साथ ही किर्गिज रिपब्लिक और मॉरीशस के नेताओं को भी न्योता दिया गया है.

बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन यानी BIMSTEC बंगाल की खाड़ी से सटे नजदीकी देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है. इस संगठन के सात सदस्य हैं- भारत, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड.

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आइए देखते हैं कि इन देशों के साथ भारत के संबंध कैसे रहे हैं और आज ये किस मुकाम पर हैं

भूटान

भारत और भूटान के रिश्ते काफी अच्छे हैं. चीन से भूटान के डिप्लोमेटिक रिलेशन नहीं हैं. भारत से भूटान के रिश्ते शुरू से अच्छे रहे हैं.1949 के समझौते के मुताबिक भूटान को अपने विदेशी संबंधों को मामलों में भारत को शामिल करना होता था. हालांकि 2007 में इसमें संशोधन हुआ था. चीन से डोकलाम विवाद के दौरान भूटान ने पूरी तरह भारत का साथ दिया था. दक्षिण एशिया के देशों में भारत के अलावा भूटान ही चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव में शामिल नहीं है.

बांग्लादेश

नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद भारत- बांग्लादेश रिश्ते काफी बेहतर हुए हैं. उनके पिछले कार्यकाल में भारत-बांग्लादेश एनक्लेव समझौता हुआ. आतंकवाद के खिलाफ भी बांग्लादेश का समर्थन भारत को मिला. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के शासन में भारत से बांग्लादेश के संबंध काफी अच्छे हुए हैं. पीएम मोदी बांग्लादेश की संसद को संबोधित कर चुके हैं.

नेपाल

अपने पिछले कार्यकाल में पीएम मोदी कई बार नेपाल की यात्रा कर चुके हैं. लेकिन मधेशी आंदोलन के दौरान नेपाल की नाकेबंदी से वहां के लोग भारत के खिलाफ हो गए थे. यह नाकेबंदी ऐसे वक्त की गई थी जब नेपाल भूकंप के बाद अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा था. इसके बाद नेपाल ने चीन से नजदीकी बढ़ाई. हालांकि हाल के कुछ दिनों में नेपाल से भारत के रिश्ते सुधरने की ओर बढ़ रहे हैं.

श्रीलंका

श्रीलंका में चीन के बढ़ते वर्चस्व की वजह से भारत से इसके रिश्ते खराब हो गए थे. खास कर हम्बनटोटा बंदरगाह लीज पर चीन को देने से भारत श्रीलंका से काफी नाराज था. महिंदा राजपक्षे की सरकार ने चीन को श्रीलंका में काफी तवज्जो दी. लेकिन सिरिसेना मैत्रिपाला के शासन में श्रीलंका का झुकाव भारत की ओर हो गया है. मौजूदा रानिल विक्रमसिंघे सरकार का रुख भी भारत के प्रति दोस्ताना है.

म्यांमार

भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत म्यांमार का रोल भारत के लिए काफी अहम है. भारत म्यांमार के रास्ते ही दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के बाजार तक पहुंच बनाना चाहता है. म्यांमार में मौजूद गैस के भंडार भी भारत के लिए अहम आकर्षण हैं.

थाईलैंड

भारत की थाईलैंड तक एक इंटरनेशनल हाईवे बनाने की योजना है. यह हाईवे म्यांमार से गुजरेगा. थाईलैंड आसियान में भारत का अहम सहयोगी देश है. दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध के 72 साल हो चुके हैं. पीएम नरेंद्र मोदी की नजर में थाईलैंड भारत के लिए अहम बाजार के तौर पर भी उभर रहा है.

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