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कारगिल युद्ध लड़ने वाले और भारतीय सेना में 30 साल तक सेवाएं दे चुके मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण (फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल) ने ‘विदेशी’ घोषित किया है. विदेशी घोषित होने के बाद सनाउल्लाह को परिवार सहित गोलपाड़ा के डिटेंशन कैंप में भेज दिया गया. सनाउल्लाह के वकील ने अब इंक्वायरी रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ हुई है.
मोहम्मद सनाउल्लाह के वकील ने कहा है कि रिपोर्ट में जिस दिन पूछताछ की बात कही गई है उस दिन वो ड्यूटी पर तैनात थे.
मोहम्मद सनाउल्लाह और उनके परिवार के सदस्यों के नाम राष्ट्रीय रजिस्टर पंजी (एनआरसी) में नहीं हैं. न्यायाधिकरण ने 23 मई को जारी आदेश में कहा कि सनाउल्लाह 25 मार्च, 1971 की तारीख से पहले भारत से अपने जुड़ाव का सबूत देने में असफल रहे हैं और वह इस बात का भी सबूत देने में असफल रहे कि वह जन्म से ही भारतीय नागरिक हैं. इस वजह से सनाउल्लाह को विदेशी करार दिया गया और हिरासत में लेकर डिटेंशन कैंप भेजा गया.
विदेशी करार दिए जाने और डिटेंशन कैंप भेजे जाने के बाद सेना के लोगों ने सनाउल्लाह की पत्नी को सांत्वना दी. लेकिन साथ ही अपनी सीमाएं भी बताईं कि ये मामला अब न्यायिक प्रक्रिया में है इसमें सेना भी ज्यादा कुछ नहीं कर सकती.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, सनाउल्लाह ने कहा, ‘उनका दिल टूट गया है. भारतीय सेना में तीस साल तक सेवा देने के बाद मुझे यह इनाम मिला है.’
(इनपुट भाषा से)
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