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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चीफ मोहन भगवत ने विजयादशमी पर्व और आरएसएस के स्थापना दिवस के मौके पर अपने संबोधन में अर्बन नक्सल, सबरीमाला और राम मंदिर मुद्दे का जिक्र किया. भागवत ने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण कराना चाहिए.
इसके अलावा भागवत ने अर्बन नक्सल, लेफ्ट विचारधारा, पाकिस्तान समेत चीन पर भी जमकर हमला बोला.
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज अपनी 93वीं स्थापना दिवस मना रही है. नागपुर में हो रहे इस कार्यक्रम में संघ ने नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश विद्यार्थी को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया है. साथ ही केंद्रीय मंत्री और पूर्व बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे.
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री के मुद्दे पर भागवत ने कहा की स्त्री पुरुष समानता अच्छी बात है, लेकिन सालों से चली आ रही परंपरा का सम्मान नहीं किया गया. जिन्होंने याचिका डाली वो कभी मंदिर नहीं गए, जो महिलाएं आंदोलन कर रही हैं वो आस्था को मानती हैं.
उन्होंने कहा, ये परंपरा है, उसके पीछे कई कारण होते हैं. कोर्ट के फैसले से वहां पर असंतोष पैदा हो गया है. महिलाएं ही इस परंपरा को मानती हैं. धार्मिक परम्पराओं के प्रमुखों का पक्ष, करोड़ों भक्तों की श्रद्धा, महिलाओं का बड़ा वर्ग इन नियमों को मानता है. इन सबकी बात नहीं सुनी गयी.
भागवत ने एक बार राम मंदिर बनने की बात कही, उन्होंने कहा, “रामजन्मभूमि पर जल्द से जल्द राम मंदिर बने इसलिए सरकार को कानून बनाकर मंदिर निर्माण करना चाहिए. यह हिंदू-मुसलमान का मसला नहीं है. यह भारत का प्रतीक है और जिस रास्ते से मंदिर निर्माण संभव है, मंदिर का निर्माण होना चाहिए.”
“हम किसी एक राजनीतिक पार्टी के साथ नहीं”
संघ और बीजेपी का रिश्ता किसी से छिपा नहीं है, यहां तक कि देश के पीएम भी खुद को संघ से जोड़कर देखते रहे हैं. लेकिन मोहन भागवत ने कहा,
मोहन भागवत ने पाकिस्तान को डराने की बात कहते हुए कहा,
मोहन भागवत ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि हमारे देश में राजनीति को लेकर कई प्रयोग हुए.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत अगर पंचामृत के मंत्र पर आगे बढ़ेगा तो एक बार फिर विश्वगुरू बन सकता है. एक भयानक आंधी बाबर के रूप में आई और उसने हमारे देश के हिंदू-मुसलमानों को नहीं बख्शा. उसके समाज रौंदा जाने लगा.
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