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नेपाल के हिल्सा पहाड़ी क्षेत्र से करीब 250 से ज्यादा मानसरोवर तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया. तिब्बत में कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा से लौटते समय भारी बारिश के कारण नेपाल के पहाड़ी इलाके में फंसे अन्य तीर्थयात्रियों को भी निकालने की कोशिश भी तेज हो गई है.
भारतीय दूतावास ने यहां एक बयान में बताया कि अन्य 336 लोगों को सिमिकोट से सुरखेत और नेपालगंज पहुंचाया गया है. भारतीय मिशन नेपालगंज-सिमिकोट-हिल्सा सेक्टर पर स्थिति पर नजर रख रहा है और इलाके से फंसे भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों को निकालने के लिए सभी मुमकिन उपाय कर रहा है.
दूतावास ने कहा
अधिकारी ने बताया कि 17 वाणिज्यिक उड़ानों और नेपाल सेना के तीन हेलीकॉप्टरों और एक छोटे चार्टर्ड हेलीकॉप्टर ने बुधवार को दिन में उड़ानें भरीं और 336 लोगों को सिमीकोट से सुरखेत और नेपालगंज पहुंचाया. सुरखेत पहुंचाए गए लोगों को नेपालगंज जाने के लिए बसें उपलब्ध कराई गईं. नेपालगंज आधुनिक सुविधाओं से लैस बड़ा शहर है और सड़क मार्ग से वहां से लखनऊ तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है.
दूतावास ने बताया था कि मंगलवार 1500 तीर्थयात्रियों में से करीब 250 को हिल्सा से सुरक्षित निकाला गया. उसने बताया कि कल कुल 158 लोगों को सिमीकोट से निकालकर नेपालगंज लाया गया. दूतावास ने बयान में बताया है कि फंसे हुए लोगों को निकालने की प्रक्रिया को तेज करने के मद्देनजर दूतावास चार्टर्ड हेलीकॉप्टरों की सेवा लेने की भी संभावना तलाश रहा है. ये मौसम की स्थिति और हेलीकॉप्टरों की इन मार्गों पर उड़ने की क्षमता पर निर्भर करेगा.
दूतावास ने तीर्थयात्रियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए पहले ही हॉटलाइन बना दी है, जिसमें तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम भाषी कर्मचारी भी हैं.
भारतीय दूतावास ने बताया कि एक जुलाई सिमीकोट में अत्यधिक ऊंचाई में ऑक्जीजन की कमी से एक तीर्थयात्री की मौत हो गई थी और सोमवार को तिब्बत में दिल के दौरा पड़ने अन्य व्यक्ति का निधन हो गया. उसने एक बयान में कहा कि उनके शव विशेष हेलीकॉप्टरों से काठमांडो और नेपालगंज लाए गए.
कैलाश मानसरोवर यात्रा के प्रमुख टूर ऑपरेटरों में से एक सनी ट्रैवल्स एंड ट्रेक्स के प्रबंध निदेशक तेनजिन नोरबू लामा ने बताया कि खराब मौसम के कारण वायु परिवहन संपर्क टूटने की वजह से भारतीय तीर्थयात्री फंस गए लेकिन उनके खाने-पीने और ठहरने में कोई दिक्कत नहीं है.
स्थानीय मीडिया ने लामा के हवाले से कहा, ‘पर्वतीय क्षेत्र में लंबे समय तक रहने के कारण ऑक्सीजन के कम दबाव से पीड़ित श्रद्धालुओं के लिए ऐसे इलाकों में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं नहीं होती हैं.
चीन के तिब्बत स्वायत्त इलाके में स्थित कैलाश मानसरोवर हिन्दुओं, बौद्ध एवं जैन धर्म के लोगों के लिये पवित्र स्थान माना जाता है और हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में तीर्थयात्री वहां जाते हैं.
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