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मां... ममता... मातृ्त्व. इन शब्दों को सुनकर ही मदर इंडिया की छवि सामने आने लगती है. मां, जिसकी अपनी कोई इच्छाएं नहीं हैं, वो त्याग की मूरत है, वो कभी नहीं थकती और न जाने क्या-क्या. भारत जैसे देश में मां का महिमामंडन खूब किया गया है, और मां की यही छवि एक समय पर बॉलीवुड फिल्मों में भी देखने को मिलती थी. लेकिन वक्त बदला और शुक्र है कि हमारी फिल्में भी. अब बॉलीवुड की मांएं ममता की मूरत नहीं हैं. उनमें गुस्सा है, उनकी अपनी आकांक्षाएं हैं और सबसे ज्यादा, वो एक आम इंसान हैं, जिनमें कोई खामी या कमी हो सकती है.
Mother's day 2023 के मौके पर एक नजर मांओं के उन किरदारों पर, जिन्होंने मां की परिभाषा को बदला.
'दिल धड़कने दो' की नीलम मेहरा की जिंदगी बाहर से कोई देखे, तो परफेक्ट है, लेकिन इस दुनिया में परफेक्शन कहां? जवान बच्चों की मां नीलम मेहरा भी बाकी लोगों की बॉडी इमेज इशू को झेलती है. पति के अफेयर के बावजूद एक रिश्ते को सालों-साल ढोती है, क्योंकि उसने यही सीखा है. लेकिन बात जब बच्चों की आती है, तो वो उन तमाम सीखों को तोड़ने को तैयार है, जिनके साथ वो बड़ी हुई है.
एक मां से उम्मीद की जाती है कि वो अपने सभी बच्चों से बराबर प्यार करे, लेकिन 'कपूर एंड सन्स' की सुनीता कपूर का एक बच्चे के लिए ज्यादा प्यार साफ दिखाई देता है. अपने बड़े बेटे के करियर को सपोर्ट करने के लिए वो छोटे बेटे को धोखा दे देती है. जहां वो बड़े बेटे की एक-एक चीज सहेज के रखती है, तो वहीं छोटे बेटे की चीजें उसके लिए शायद उतना महत्व नहीं रखतीं.
कौन मां ऐसी होती है? लेकिन 'कपूर एंड सन्स' की सुनीता ऐसी ही है. वो परफेक्ट नहीं है, क्योंकि कोई इंसान परफेक्ट नहीं हो सकता.
Gen Z की लैंग्युएज में कहें तो 'इंगिल्श-विंग्लिश' की शशि सबसे relatable माओं में से एक है. वो अपने परिवार-बच्चों के लिए दिनभर घर में दौड़ती रहती है, लेकिन इसके लिए उसे जरा तारीफ नहीं मिलती. अपने बच्चों से जुड़ने के लिए शशि इंग्लिश भी सीखने लगती है. भले ही शशि की दुनिया उसके पति और बच्चे हों, लेकिन धीरे-धीरे वो अपने लिए भी जीना शुरू करती है.
'बधाई दो' की प्रियम्वदा ने समाज में ऐसे मुद्दे को लेकर बहस छेड़ दी, जिसपर लोग हिचकिचाए भी बात करना पसंद नहीं करते थे. जवान बच्चों की मां की सेक्शुअल इच्छाएं. हमारे समाज में ये माना जाता है कि सेक्स का इकलौता मकसद रीप्रोडक्शन यानी कि बच्चा पैदा करना है, प्लेजर नहीं. इसलिए माना जाता है कि बच्चे पैदा करने के बाद एक महिला की सेक्सुअल इच्छाएं खत्म हो जाती हैं. प्रियम्वदा ने इस धारणा को तोड़ा है.
जवान बच्चों की मां होने के बावजूद प्रियम्वदा अपनी तीसरी प्रेगनेंसी के साथ आगे बढ़ती है.
'द स्काई इज पिंक' की अदिती शायद थोड़ी मदर इंडिया जैसी लग सकती है, क्योंकि इसकी जिंदगी अपनी बेटी के इर्द-गिर्द घूमती है. अदिती अपनी बीमार बेटी के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो कमजोर है. अदिती अपनी शर्तों पर जीने वाली मांओं में से एक है. अदिती ने अपनी मर्जी से शादी की. अपनी मर्जी से धर्म बदला. बेटी की मौत के बाद उसके और पति के रिश्तों में दूरी आने लगती है. फिल्म एक मां और एक पत्नी के रूप में अदिती की भावनाओं को बखूबी दिखाती है.
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