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मध्य प्रदेश में पांच बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर हंगामा कटा हुआ है. शिवराज सिंह इन बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर उठ रहे सवालों से बच रहे हैं. उधर, इन बाबाओं को लेकर कई हैरान करने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं.
हालिया खुलासा, शिवराज सिंह चौहान सरकार में बतौर राज्य मंत्री शामिल किए गए नर्मदानंद महाराज से जुड़ा है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, नर्मदानंद रेलवे के रिकॉर्ड में दृष्टिहीन हैं. नर्मदानंद का साल 2009 में जिला अस्पताल के डॉक्टरों की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर दृष्टिहीन होने का प्रमाण पत्र बन चुका है. इतना ही नहीं नर्मदानंद का नाम राशन कार्ड की गरीबी रेखा की लिस्ट में भी दर्ज है.
नर्मदानंद को लेकर जब हैरान करने वाला तथ्य सामने आया, तो उनसे इस बारे में सवाल भी किया गया. इस पर नर्मदानंद ने कहा, 'मेरी आंखें 89 फीसदी खराब थीं. 2014 तक दृष्टिहीन होकर रियायती टिकट पर रेल यात्रा करता था. लेकिन जब नंगे पांव नर्मदा की परिक्रमा शुरू की तो आंखों की रोशनी लौट आई.'
नर्मदानंद ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी आंखों की रोशनी मां नर्मदा की कृपा से लौट आई है, इसलिए अब वह दृष्टिहीनों को मिलने वाली सुविधाएं नहीं लेते हैं. बता दें कि नर्मदानंद 150 गुरुभक्तों के साथ नर्मदा की 3300 किलोमीटर की परिक्रमा कर रहे हैं.
मध्य प्रदेश में चुनावी साल में शिवराज सिंह ने पांच लोगों को नर्मदा नदी की रक्षा के लिये राज्यमंत्री का दर्जा दिया है. इनमें से एक संत समेत दो लोग सूबे की शिवराज सरकार के खिलाफ ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा' निकालने वाले थे. लेकिन राज्यमंत्री का दर्जा मिलने के बाद इस यात्रा को रद्द कर दिया गया है.
राज्य सरकार के तीन अप्रैल को जारी आदेश के मुताबिक, प्रदेश के विभिन्न चिह्नित क्षेत्रों में, खासतौर पर नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिये 31 मार्च को विशेष समिति गठित की गई है. इस समिति के पांच विशेष सदस्यों- नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, भैय्यूजी महाराज, कम्प्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा दिया किया गया है.
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