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मध्यप्रदेशः अचानक क्यों शुरू हो गया सांप्रदायिक नफरत का खेल?

राम मंदिर निर्माण का चंदा उगाने वाली रैली के बहाने हिंसा व तोड़फोड़

जावेद आलम
भारत
Published:
प्रतीकात्मक फोटो
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प्रतीकात्मक फोटो
(फोटोः Altered By Quint)

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मध्यप्रदेश के अपेक्षाकृत शांत माने जाने वाले मालवा क्षेत्र के तीन जिले उज्जैन, इंदौर व मंदसौर पिछले दिनों अजीब तरह की नफरत भरी घटनाओं के शिकार हुए हैं. यह घटनाएं लगभग एक जैसी हैं.

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण निधि संग्रह के लिए हिंदूवादी संगठनों द्वारा रैली का मुस्लिम बहुल इलाकों में जाना, वहां नारेबाजी करना या मस्जिदों के सामने ढोल पीटना, अभद्र भाषा का प्रयोग करना. इस दौरान कहीं से पत्थर का आना और फिर हंगामा हो जाना. इस हंगामे में अधिकांशतः मुसलमानों की संपत्तियों, वाहनों का नुकसान होना.

घटना के बाद आनन-फानन में इलाके के मुसलमानों को इस उपद्रव का जिम्मेदार मान कर उनके घरों को प्रशासन द्वारा तोड़ा जाना. अभी तक गिरफ्तारियां भी मुसलमानों की ही ज्यादा हुई हैं. इन घटनाओं में एक और समान बात, इनके वीडियो का वायरल होना है. इससे इलाके के मुसलमान हक्के-बक्के हैं और अब समझदार तबके के सामने कई तरह के सवाल खड़े हैं.

डोरानाः 29 दिसंबर, महाबवंडर

उज्जैन शहर, इंदौर की गौतमपुरा तहसील का गांव चांदनखेड़ी और मंदसौर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव डोराना में इसी तरह की घटनाएं हुई हैं. डोराना मुस्लिम बहुल गांव है. मंदसौर जिला वक्फ कमेटी सद्र भूरे खां मेव के मुताबिक, बीते शुक्रवार मतलब 25 दिसंबर को दोपहर की नमाज के वक्त वहां मोटरसाइकल सवार सौ-पचास लोग नारेबाजी करते पहुंचे और मस्जिद के सामने धमाल करने लगे.

नमाजी बाहर निकले तो तकरार हो गई. यह लोग जाते-जाते धमका गए कि फिर आएंगे. इसकी सूचना पुलिस को दी गई. भूरे खां, खुर्रम हमीदी जैसे इलाके के वरिष्ठ समाजसेवी बताते हैं, आवेदन देने के बाद उम्मीद थी कि पुलिस-प्रशासन वहां माकूल इंतजाम करेगा, मगर उन्होंने शायद मामले को हल्के में लिया. तब 29 दिसंबर की सुबह कोई 5 हजार लोगों ने गांव को घेर लिया. इसकी खबर फौरन पुलिस को दी गई.

पुलिस आई, उसने मस्जिद पर पहरा लगा दिया और उसी पहरे में हंगामे के बीच कुछ युवक मस्जिद में घुसे. वहां भगवा झंडा लगा दिया, जिसे पुलिस ने उतारा. इस बीच बाहर आततायी भीड़ हंगामा करती रही. मंदसौर के एसपी सिद्धार्थ चौधरी कहते हैं कि लोग मस्जिद में नहीं घुसे थे, एकाध बदमाश छत पर चढ़ गया था, पुलिस ने उसे वहां से हटा दिया था.

हमने सुरक्षा के लिए फोर्स लगाई और कोई बड़ा हादसा घटित होने से रोक दिया. 5 लोगों को गिरफ्तार किए जाने व बाकी को खोजने की बात भी वह कहते हैं. जब चौधरी से पूछा गया कि दो दिन पहले सूचना दी गई थी, फिर भी यह घटना हो गई, तो जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोके जाने के जो प्रयास किए जाते हैं. वह हमने किए.

बताना जरूरी है कि पुलिस की मौजूदगी में आतंक मचाती भीड़ ने गांव में स्थित मुसलमानों के कई घरों व वाहनों को नुकसान पहुंचाया. लगातार गंदे नारे लगाते अराजक तत्व तांडव करते रहे. इन घटनाओं के कई वीडियोज वायरल हुए हैं. ऐसे ही एक वीडियो में बाइक सवार एक युवक बता रहा है कि वह 25-30 घर का नुकसान कर के लौटे हैं. इसकी तैयारी पहले से की गई थी. सोशल मीडिया पर चलो डोराना का आह्वान करते हुए '29 दिसंबर महाबवंडर और दिखा दो दम, आ रहे हैं हम' जैसी बातें कही गईं.

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उज्जैनः टीकाराम की जगह अब्दुल हमीद का घर तोड़ दिया!

उज्जैन के मुस्लिम बहुल बेगम बाग से आए वीडियो में एक घर की छत से दो मुस्लिम महिलाएं पत्थर फेंकती दिख रही हैं. कैमरा इनके पीछे लगा हुआ है. एक दूसरे वीडियो में चंद लड़के सड़क पर आ कर पत्थर फेंक रहे हैं. सड़क से घरों पर पत्थर फेंकने वाली वीडियो भी आई है. पथराव का जिम्मेदार मानते हुए स्थानीय प्रशासन ने अब्दुल हमीद पिता अब्दुल कय्यूम का घर तोड़ दिया.

पुताई करने वाले 62 साल के अब्दुल हमीद का कहना है कि “जब रैली निकली थी, तब न वह घर में थे और ना ही उनके बेटे. पत्थर भी पड़ोसी टीकाराम की किरायेदार मुस्लिम महिला ने फेंके थे. घर उनका तोड़ा जाना था, मगर वह हिंदू हैं और उनके घर में मंदिर है. उनके दोनों लड़के शिवसेना में हैं. उनका घर नहीं तोड़ा, पता नहीं मेरा घर क्यों तोड़ दिया. वह भी इतनी जल्दी में कि घर की औरतों को खाना पकाने का सामान तक नहीं निकालने दिया. प्रशासन ने हमें पांव-पांव कर दिया.”

जमीअतुल उलेमा उज्जैन के सदस्य व सक्रिय समाजसेवी मुहम्मद राशिद कहते हैं कि बहुत सोच-समझ कर मुसलमानों का नुकसान किया जा रहा है, जबकि हंगामे के जिम्मेदारों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

मध्यप्रदेश बॉडी बिल्डर्स एसोसिएशन के सचिव, समाजसेवी अब्दुश्शाकिर मंसूरी कहते हैं “रैली निकालने वालों ने गालियां दीं, पथराव किया. इसके वीडियो हैं. स्थानीय पुलिस चौकी के साथ, महाकाल थाने के टीआई को इसकी जानकारी फोन पर दी भी थी.

अब दबी जुबान में प्रशासन अपनी गलती स्वीकार कर रहा है. उज्जैन के महाकाल व नानाखेड़ा थाना प्रभारियों को लाइन अटैच कर दिया गया है. उज्जैन में हुई इस घटना के बाद भगवा शाल लपेटे आचार्य शेखर नामक व्यक्ति का वीडियो सामने आया, जिसमें वह मुसलमानों को खुलेआम धमकी दे रहा है कि उनके लिए कब्रिस्तान कम पड़ जाएंगे.”

दरअसल जब अब्दुल हमीद का मकान तोड़ने की कार्रवाई की जा रही थी, तब शहर काजी खलीकुर्रहमान ने मौके पर मौजूद अधिकारियों से आग्रह किया था कि यह कार्रवाई रोक दी जाए. अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी इस पर तैश में आ कर उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है- 'यह कार्रवाई रुकवा दीजिए, वरना पंद्रह मिनट के अंदर इतना गेम खराब हो जाएगा कि फिर कुछ भी नई कर पाएंगे. हम भी नई कर पाएंगे.' उसी के जवाब में यह वीडियो जारी किया गया है.

चांदनखेड़ीः मुसलमानों को पुलिस ने कवर कर रखा

इंदौर जिले के मुस्लिम बहुल चांदनखेड़ी के निवासियों की बात मानें तो जुलूस भड़काऊ नारेबाजी करते हुए गुजर गया था, मगर कल्लू पिता इस्माईल व भारत नेता आपस में लड़ बैठे, जिससे माहौल बिगड़ गया.

दोनों पक्षों के बीच खेती-किसानी को ले कर पुराना विवाद है. जुलूस में शामिल भारत पटेल ने कल्लू को गालियां देते हुए कहा कि खेत पे आना तेरी... कल्लू ने भी उसी भाषा में उत्तर दिया और दोनों के बीच मारपीट हो गई. तब फोन कर के जुलूस के लोगों को वापस बुलाया गया, जिन्होंने आते ही मारपीट व तोड़फोड़ शुरू कर दी. रैली के साथ गिनती की पुलिस थी, जो मूकदर्शक बनी रही.

मारपीट के बाद नजदीकी गांव कनवासा की ओर जाते जुलूस के लोगों ने चांदनखेड़ी की सीमा पर स्थित कादर बा के बड़े घर में आग लगा दी व बुझाने का प्रयास करने पर घर वालों के साथ मारपीट की. उन घायलों का इलाज इंदौर के शासकीय एमवाय अस्पताल में चल रहा है. गांव के लोगों के मुताबिक जुलूस वालों के हौसले इतने बुलंद थे कि गौतमपुरा से आई फायर ब्रिगेड को भी आग बुझाने से उन्होंने रोक दिया. इसके अलावा ईदगाह के मीनार को क्षतिग्रस्त करने व उस पर भगवा झंडा लगाते समय पुलिस ने मुस्लिम गांव वालों को कवर कर रखा.

नाम मत छापना

अब गांव में दहशत का माहौल है. पुलिस व सशस्त्र बल की टुकड़ियां वहां तैनात हैं. 31 दिसंबर की शाम तक पच्चीस से ज्यादा लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम हैं. उन्हीं के घर भी तोड़े गए हैं.

गांव के लोगों ने बताया कि पूर्व सरपंच दिलावर खान व उनके बेटों को भी पुलिस पकड़ ले गई थी. बाद में दिलावर खान को छोड़ दिया मगर उनके बेटे बंद हैं. इससे गांव वाले परेशान औक खौफजदा हैं. अपने नाम न छापे जाने का वह बार-बार आग्रह करते हैं. इस सारे खेल में बीजेपी के पूर्व विधायक का नाम भी आ रहा है. अमीर खां (परिवर्तित नाम) कहते हैं, वे चुनाव हार गए और गुस्सा हैं कि इस बार मुसलमानों ने उन्हें वोट नहीं दिए.

सवाल यह है कि ऐसे में वहां के वर्तमान कांग्रेसी विधायक क्या कर रहे हैं? इसी तरह मंदसौर के मुस्लिम नेता कहते हैं कि बीजेपी विधायक व सांसद अजीब सी बातें करते हैं. उनसे हुड़दंगियों की शिकायत करें तो वे कहते हैं ढोल बजाना गुनाह नहीं है. ढोल नहीं बजाएंगे तो क्या करेंगे. नारे तो लगते ही हैं.

मीडियाः वही एकतरफा रुख

इन सभी घटनाओं में स्थानीय मीडिया का मुस्लिम विरोधी रुख एक बार फिर सामने आया कि सभी ने जुलूस पर पथराव की परोसी गई थ्योरी को ही आगे बढ़ाया. सूबे के शांत माने जाने वाले मालवा इलाके में इस तरह की योजनाबद्ध हिंसा तथा पुलिस-प्रशासन के पूरी तरह एक पक्षीय रवैये से चिंता बढ़ी है. तीनों जगह घटनाओं का स्वरूप एक ही तरह का था.

भड़काऊ नारे लगाता उग्र व अनियंत्रित जुलूस मुस्लिम बहुल इलाकों में ले जाना. सोची समझी रणनीति के तहत खेले गए इस खेल में सारा नुकसान मुसलमानों का ही हुआ है. अभी तक इसमें किसी की जान तो नहीं गई, मगर जख्मी भी ज्यादातर मुसलमान हुए हैं. मुकदमे भी उनके ही खिलाफ बनाए गए हैं. थाने व जेल में भी वही ज्यादा तादाद में भेजे गए.

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष कफील रजा कहते हैं कि प्रशासन ने अभी तक सिर्फ एकतरफा कार्रवाई की है. मुसलमानों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किए गए हैं. चांदनखेड़ी व उज्जैन के मकानों को तोड़ने में भी बहुत जल्दबाजी की गई. जबकि आरएसएस के गुंडों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं की गई है.

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