धोनी का डोप टेस्ट: बन गया बायोलॉजिकल पासपोर्ट?

डोप एजेंसी के नए नियम जानिए, दस साल तक क्यों रखा जाएगा खिलाड़ियों का सैंपल

द क्विंट
भारत
Published:
(फोटो: IPLT20.com)
i
(फोटो: IPLT20.com)
null

advertisement

इंदौर में 8 अप्रैल को KXIP और RPS के बीच मुकाबला था. पूर्व क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी रायजिंग पुणे की तरफ से खेल रहे थे. मैच के बाद धोनी को डोप टेस्ट से भी गुजरना पड़ा था, लेकिन धोनी का डोप टेस्ट लेने के लिए एजेंसियों को करीब एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा.

डोपिंग निरोधक एजेंसी ने धोनी को यूरिन का सैंपल लेने के लिए चुना लेकिन सैंपल लेने की प्रक्रिया में ही पूरे 1 घंटे लग गए.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एजेंसी ने धोनी को कुछ लिक्विड लेने के निर्देश भी दिए. उस निर्देश के करीब एक घंटे बाद जांच एजेंसी धोनी का यूरिन सैंपल ले पाई.

एथलीट बायोलॉजिकल पासपोर्ट

दरअसल वाडा (इंटरनेशनल डोपिंग एजेंसी) ने 2017 में होने वाले आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी से पहले ही सभी खिलाड़ियों का डोप टेस्ट करने का निर्देश दिया है. साथ ही वाडा ने ये भी कहा है कि 2017 में कलेक्ट किए गए सैंपल को 10 साल तक रखा जाएगा. फ्रेश टेस्ट हर 6 महीने पर किए जाएंगे और उनकी तुलना पुराने सैंपल से की जाएगी. इसे एथलीट बायोलॉजिकल पासपोर्ट कहते हैं जो हर खिलाड़ी को अब रखना होगा.

क्यों लिया जाता है डोप टेस्ट ?

डोप टेस्ट लेने का उद्देश्य, खिलाड़ियों के खाद्य पदार्थ की जांच करना होता है. डोपिंग निरोधक एजेंसी यह सुनुश्चित करती है कि खिलाड़ियों ने खेल के दौरान कोई ड्रग्स या शराब का सेवन तो नहीं किया है.

डोप टेस्ट करने के लिए डोपिंग निरोधक एजेंसी पर्ची के माध्यम से खिलाड़ियों का चयन करती हैं. दोनों टीमों के सभी खिलाड़ियों के नाम से पर्चियां तैयार की जाती है और फिर दोनों टीमों से दो-दो खिलाड़ियों की पर्चियां चुनी जाती हैं. उन्हीं चयनित खिलाड़ियों का डोप टेस्ट होता है.

WhatsApp के जरिये द क्‍व‍िंट से जुड़ि‍ए. टाइप करें “JOIN” और 9910181818 पर भेजें

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT