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मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह बुधवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से लदी एसयूवी के मामले में पहली बार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के समक्ष पेश हुए. इस मामले में व्यवसायी मनसुख हीरेन की रहस्यमय तरीके से मौत होने के बाद इस मामले ने नया मोड़ ले लिया था.
इसके पहले एनआईए निलंबित क्राइम ब्रांच के पुलिस अधिकारी सचिन वझे सहित कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, एनआईए इसके पहले वाजे द्वारा उपयोग किए गए कई वाहनों को जब्त कर चुकी है और यहां एक नदी से कई सामान भी बरामद कु चुकी है.
दरअसल मुंबई में मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक भरी एक कार बरामद हुई थी. जिसकी जांच शुरू हुई तो आरोप मुंबई क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के चीफ सचिन वझे पर लगे. वझे की गिरफ्तारी हुई और साजिश का भी खुलासा हुआ. इस मामले के सामने आने के बाद महाराष्ट्र सरकार की जमकर आलोचना हुई. इस आलोचना के बीच सरकार ने एक्शन लेते हुए मुंबई के पुलिस कमिश्नर पर काबिज परमबीर सिंह को हटा दिया.
परमबीर सिंह को हटाए जाने के बाद कई नेताओं ने उन पर हमला भी बोला. लेकिन कुछ ही दिन बाद परमबीर सिंह कि एक चिट्ठी सामने आ गई. जिसने राज्य की राजनीति में भूचाल खड़ा कर दिया. इस चिट्ठी में गृहमंत्री अनिल देशमुख पर करोड़ों रुपये की वसूली करवाने के आरोप लगाए गए. जब सभी मंत्रियों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया तो, परमबीर सिंह ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
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