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हिंदू लड़के की जान बचाने के लिए इस शख्स ने तोड़ दिया अपना रोजा...

सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा, दुनिया में आज भी जिंदा है इंसानियत

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सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा, दुनिया में आज भी जिंदा है इंसानियत
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सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा, दुनिया में आज भी जिंदा है इंसानियत
(फोटो: Indian Express)

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रमजान का ये पाक महीना मुसलमानों के लिए काफी अहम होता है. इसमें दुनियाभर के मुस्लिम सुबह से लेकर शाम तक 'रोजा' रखते हैं. पूरे एक महीने चलने वाले इस रोजे में वो कुछ भी नहीं खाते, लेकिन असम के पनाउल्ला अहमद ने अपना ये रोजा एक हिंदू के लिए तोड़ दिया.

असम के मंदलदोई जिले के रहने वाले पनाउल्ला अहमद ने एक मरीज की जान बचाने के लिए ऐसा किया.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, असम के धेमाजी जिले के रहने वाले राजन गोगोई को ओ-पॉजिटिव ब्लड की सख्त जरूरत थी. काफी खोजबीन करने के बावजूद उनका परिवार उनके लिए खून का इंतजाम नहीं कर पा रहा था. तभी उनकी जिंदगी में अहमद फरिश्ते बनकर आए.

अहमद के रूममेट, तापश भगवती टीम ह्यूमैनिटी का हिस्सा हैं. ये ऐसा ऑर्गनाइजेशन है जो मरीजों को ब्लड डोनर्स से कनेक्ट करता है. जब तापश को गोगोई के बारे में पता चला, तो वो उसके लिए ब्लड डोनर को खोजने लगे.

5 मई को, मेरे पास ब्लड के लिए एक फोन आया. अगली सुबह, मैं किसी भी डोनर को नहीं ढूंढ पाया था. मैं कई लोगों को फोन कर रहा था, तभी मेरा रूममेट पनाउल्लाह आया. क्योंकि वो रोजा रख रहा था, इसलिए मैंने उससे नहीं पूछा.
तापश ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया

थोड़ी देर बाद अहमद ने खुद ब्लड डोनेट करने की बात कही. तापश अहमद को लेकर गोगोई के पास गए. अहमद ने रोजा तोड़ने को लेकर अपने गांव भी फोन किया. तापश ने बताया कि गांववालों ने उन्हें अलग-अलग बातें कहीं, लेकिन आखिर में उन्होंने ब्लड डोनेट करने का फैसला लिया.

‘रोजा एक धार्मिक मान्यता है जिसे हम मानते हैं. मैंने महसूस किया कि मैं अगले दिन भी रोजा रख सकता हूं, लेकिन किसी व्यक्ति को बचाने का मौका सिर्फ आज है. इसलिए मैंने उन्हें बचाने का फैसला लिया.’
अहमद ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया

अहमद की ये कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है. कई यूजर्स ने कमेंट किया है कि ऐसी कहानियां बताती हैं कि आज भी दुनिया में नफरत के ऊपर इंसानियत हावी है.

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