Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 मुस्लिम पक्षों ने अयोध्या विवाद में सुलह को नकारा  

मुस्लिम पक्षों ने अयोध्या विवाद में सुलह को नकारा  

सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकीलों ने विवाद का हल मध्यस्थता के जरिए निकाले जाने पर असहमति जाहिर की है.

क्‍व‍िंट हिंदी
भारत
Published:
i
null
null

advertisement

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुधवार को अयोध्या मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिए जाने के बाद भी अयोध्या मामले पर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. मुस्लिम पक्षों में एक दरार पैदा हो गई है, क्योंकि सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकीलों ने विवाद का हल मध्यस्थता के जरिए निकाले जाने पर असहमति जाहिर की है.

मुस्लिम पक्षों की तरफ से पांच वकीलों द्वारा जारी एक बयान में मध्यस्थता पैनल के सदस्य श्रीराम पंचू और सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारूकी के बीच साफ तौर पर साजिश का संकेत दिया गया.

'सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना है प्रेस में लीक'

सुन्नी वक्फ बोर्ड के शकील अहमद सहित दूसरे वकीलों ने कहा, "प्रेस में लीक या तो मध्यस्थता कमेटी की ओर से प्रत्यक्ष तौर पर किया गया या जिन्होंने इस तथाकथित मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग लिया, उनके द्वारा प्रेरित हो सकता है. इस बात पर जोर देने की जरूरत है कि इस तरह का लीक सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पूरी तरह से अवमानना है, जिसने निर्देश दिया था कि इस तरह की प्रक्रिया गोपनीय रहनी चाहिए." बयान में कहा गया कि इसके प्रेस में लीक होने का समय और वक्फ बोर्ड की तरफ से वकील शाहिद रिजवी द्वारा गुरुवार को इसकी पुष्टि संदेहास्पद लगती है. उन्होंने कहा, "जिस दिन सुनवाई बंद हुई, ऐसा लगता है कि यह पहले से सोचा गया था. पंचू भी सुप्रीम कोर्ट के परिसर में 16 अक्टूबर को थे और वह परिसर में जफर फारूकी से बातचीत कर रहे थे."

बोर्ड के एक अन्य वकील रिजवी ने मीडिया से कहा कि अयोध्या को निपटारे की जरूरत है, न कि निर्णय की और बोर्ड के चेयरमैन की भी ऐसी ही राय है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

वकीलों ने जोर दिया कि यह स्वीकार करना मुश्किल है कि कोई भी मध्यस्थता किन परिस्थितियों में की जा सकती है, खास तौर से जब मुख्य हिंदू पक्षों ने खुले तौर किसी समझौते में भाग नहीं लेने की बात कही है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सुनवाई के अंतिम दिन मध्यस्थता समिति की ओर से पंचू से एक सूचना मिली, लेकिन उसका खुलासा नहीं किया गया था.

वकीलों ने जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता प्रेस में लीक किए गए प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते हैं, न तो उस प्रक्रिया को, जिस तरह से मध्यस्थता की की गई है और न ही उस तरीके को जिस तरीके से दावे को वापस लेने का सुझाव दिया गया है.

(इनपुट: IANS)

ये भी पढ़े- अयोध्या विवाद को किसने बनाया दो धर्मों का फसाद?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT